कसाब को फांसी की सज़ा तो दे दी गई है लेकिन हैरत की बात ये है कि महाराष्ट्र सरकार के पास कोई जल्लाद नहीं है. महाराष्ट्र में पिछले 10 सालों से ज़्यादा समय से जल्लाद का पद खाली पड़ा है.
आर. एस. जाधव नाम का जल्लाद 1997 में रिटायर हुआ था. उसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने जल्लाद की भर्ती करने की ज़रूरत नहीं समझी. जाधव ने 30 सालों से ज़्यादा समय तक जल्लाद की नौकरी की.
रिटायर होने से पहले उसने 1995 में सुधाकर जोशी नाम के एक मुजरिम को पुणे की यरवदा जेल में फांसी के फंदे पर लटकाया था. सुधाकर जोशी पर डकैती और तीन लोगों की हत्या का आरोप साबित हुआ था.
सुधाकर से पहले 1992 में जनरल वैद्य के दो हत्यारों को भी जाधव ने ही फांसी पर लटाकाया था. कसाब के अलावा महाराष्ट्र में 58 लोगों को फांसी की सज़ा मिली हुई है. लेकिन सभी मामले कहीं-न-कहीं पेंडिंग हैं.