अखबारों में हसीन लड़कियों से दोस्ती और मसाज सिखाने के विज्ञापन अक्सर दिखाई देते हैं. इनके साथ कुछ टेलीफोन नंबर और इन नंबरों पर फोन करने पर दिलकश आवाज आती है और फिर शुरू होता है पैसे ऐंठने का खेल. इन दिनों दिल्ली में चल रहे लगभग 60 फर्जी फ्रेंडशिप क्लब और मसाज ट्रेनिंग सेंटरों में जमकर ठगी हो रही है.
इसका खुलासा हाल ही में दिल्ली के उत्तम नगर और डाबरी से चलने वाले एक फर्जी फ्रेंडशिप क्लब और मसाज ट्रेनिंग सेंटर के जरिए हुआ. पिछले छह माह से चल रहे इस सेंटर के जरिए 500 लोगों को ठगा जा चुका है और लाखों रु. के वारे-न्यारे किए जा चुके हैं.
खास यह कि फ्रेंडशिप क्लब कॉर्पोरेट अंदाज में काम करता था. यहां काम करने वाली लड़कियों को निश्चित तनख्वाह और शनिवार और रविवार की छुट्टी मिलती थी. एडिशनल डीसीपी (अपराध) डॉ. जॉय टिर्की कहते हैं, ''पकड़ी गई 16 लड़कियां कॉलेज ग्रेजुएट और स्कूल ड्रॉप आउट हैं. इन्हें 8,000 से 10,000 रु. प्रतिमाह मिलते थे.''
राजधानी में पिछले छह माह में फर्जी फ्रेंडशिप क्लब और मसाज सेंटर के मामलों में लगभग 40 लड़कियों और 11 लोगों को धरा जा चुका है. पुलिस सूत्र बताते हैं कि दिल्ली में लगभग 700 लड़कियां इस काले कारोबार से जुड़ी हुई हैं और इस तरह के फर्जी क्लबों और सेंटरों के अधिकतर ठिकाने बाहरी दिल्ली में हैं. उत्तम नगर के इस गिरोह को धरने वाली टीम का हिस्सा रहे अपराध शाखा के एसआइ शरत कोहली बताते हैं, ''ये लोग एक शानदार कमरे से ठगी का कारोबार चलाते थे. जहां हर कंप्यूटर के साथ दो फोन रहते थे और फोन पर लड़कियां बेहद आकर्षक लहजे में लोगों को फंसाती थीं. यहां नजारा एकदम कॉल सेंटर जैसा होता था.''
ये फर्जी काम करने वाले अखबार में विज्ञापन देने और बैंकों में खाता खोलने के लिए अक्सर फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करते हैं. ऐसा ही कुछ इस मामले में भी नजर आया. पुलिस ने बताया कि चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है. सुरेंद्र, नीतेश और इरफान अखबारों में दोस्ती और मसाज सिखाने के विज्ञापन छपवाने के लिए एड एजेंसी चलाने वाले संजय बंसल की मदद लेते थे.
बंसल फर्जी दस्तावेजों के आधार पर विज्ञापन छपवाता था और 20 प्रतिशत कमीशन लेता था. ये अलग-अलग नाम जैसे वीआइपी फ्रेंडशिप क्लब, अलिशा मसाज क्लब और इंज्वॉय कंपनी के नाम से विज्ञापन देते थे. फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सिम कार्ड लेकर उन नंबरों को विज्ञापनों में दिया जाता था.
कोहली बताते हैं, ''अक्सर कॉलर से टेलीकॉलर सदस्यता के लिए 2,500 से 4,000 रु. रजिस्ट्रेशन के मांगती. कॉलर को बैंक खाते का नंबर दे दिया जाता. ये खाता भी फर्जी दस्तावेजों पर आधारित होता था. कॉलर से दोस्ती के लिए एयर हॉस्टेस के लिए 8,000 रु., कॉलेज गर्ल्स के लिए 5,000 रु. और हाउसवाइव्ज के लिए 3,000 रु. मांगे जाते. पैसे जमा होने के बाद सारे संपर्क टूट जाते. फोन पर कोई जवाब नहीं मिलता.'' मसाज ट्रेनिंग में भी टेली कॉलर न सिर्फ मसाज सिखाने बल्कि हसीन लड़कियों की एक सूची देने की बात कहती थीं जो कॉलर से मसाज कराएंगी. इसके लिए एक व्यक्ति से 10,000-15,000 रु. तक झ्टक लिए जाते थे. डीसीपी (अपराध) अशोक चांद बताते हैं, ''मौजूदा मामले में अधिकतर कॉलर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से हैं.'' ऐसे क्लब रोजाना 50,000 रु. तक छाप लेते हैं.
यहां भी इस ठगी का एकमात्र उद्देश्य जल्द से जल्द पैसा कमाने की हसरत रहा है. गजियाबाद का 28 वर्षीय सुरेंद्र एक कुरियर कंपनी में काम करता था. लेकिन बाद में अपनी गर्लफ्रेंड के फर्जी फ्रेंडशिप क्लब में ही काम करने लगा. साल भर पहले यह क्लब बंद हो गया. उसी दौरान उसकी मुलाकात बिहार के चंपारण से कंप्यूटर कोर्स करने दिल्ली आए 24 बरस के नीतेश कुमार से हुई.
नीतेश परेशान था, क्योंकि एक फर्जी फ्रेंडशिप क्लब ने उसे चूना लगाया था. जल्द ही दोनों ने अपना फर्जी फ्रेंडशिप क्लब और मसाज सेंटर शुरू कर दिया. दोनों ने क्लब की शुरुआत दो लड़कियों से की थी, लेकिन छह माह में इनके यहां 16 लड़कियां काम कर रही थीं. पुलिस को इनके 9 बैंकों में 24 खातों से 34 लाख रु. के लेन-देन की जानकारी मिली है. कमाई का आलम यह था कि नीतेश ने कुछ दिन पहले ही फोर्ड फिएस्ता कार खरीदी थी. इनके साथ महोबा उत्तर प्रदेश का इरफान उर्फ अमित कुमार उर्फ 24 साल का विनोद कुमार भी जुड़ा. सूत्र बताते हैं कि उसके 11 बैंक खाते मिले हैं जिनमें पिछले कुछ समय में 20 से 25 लाख रु. का लेन-देन हुआ है. उसके पास अलग-अलग नाम से पांच सिम कार्ड भी बरामद हुए हैं.
इस मामले में फर्जी दस्तावेजों के जमकर इस्तेमाल से बैंकों द्वारा खाताधारी के दस्तावेजों की जांच और सिम कार्ड देते समय वेरीफिकेशन की प्रक्रिया पर प्रश्नचिन्ह लगता है. बेशक, पहलू कई हैं लेकिन दोस्ती के लिए आने वाली कॉल या एसएमएस से सावधान रहिएगा, कहीं अगले शिकार आप ही न हों.