पाकिस्तान में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के नेता राजा परवेज अशरफ को गत वर्ष मंत्री पद से उस समय त्यागपत्र देने को बाध्य होना पड़ा था जब उनका नाम एक घोटाले में सामने आया था, लेकिन भाग्य ने करवट बदली और वह अपने खिलाफ जारी जांच के बावजूद देश के 25वें प्रधानमंत्री बन गए.
भुट्टो परिवार के वफादार अशरफ किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं और वह इस पेशे में पंजाब के रावलपिंडी में पीपीपी में शामिल होने तक बने रहे. सक्रिय राजनीति में शामिल होने से पहले 61 वर्षीय अशरफ पेशे से एक किसान और व्यापारी थे.
उन्होंने अपनी स्नातक की डिग्री सिंध विश्वविद्यालय से और उद्योग प्रबंधन में डिप्लोमा ब्रिटेन से हासिल किया. अशरफ प्रधानमंत्री पद के लिए पीपीपी के सह अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी की दूसरी पसंद थे. वह पार्टी के उम्मीदवार मखदूम शाहबुद्दीन के खिलाफ स्वास्थ्य मंत्री के कार्यकाल में कथित अनियिमितताओं के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद मुख्य उम्मीदवार बन गए.
रोचक बात है कि अशरफ ऊर्जा मंत्री के अपने कार्यकाल में बिजली परियोजनाओं में कथित भ्रष्टाचार को लेकर राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो की ओर से जांच का सामना कर रहे हैं. अशरफ 2002 में गठित पीपीपी (पार्लियामेंटेरियंस) के महासचिव थे जिसे पीपीपी ने राजनीतिक दलों के लिए बनाए गए चुनावी नियमों के पालन के लिए गठित किया था.
रावलपिंडी के गुजर खान संसदीय क्षेत्र से वह 2002 और 2008 में विजयी रहे और दो बार यूसुफ रजा गिलानी के कैबिनेट में रहे. बिजली परियोजनाओं में भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद पिछले साल फरवरी में उन्होंने गिलानी के कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया.
हालांकि इस साल अप्रैल में उनकी कैबिनेट में वापसी हुई और उन्हें सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री नियुक्त किया गया. उनकी उम्मीदवारी का सहयोगी दल पीएमएल-क्यू ने समर्थन किया था जिसकी नेशनल असेंबली में 50 से ज्यादा सीटें हैं.