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'लप्पू सा सचिन है... वो झींगुर सा लड़का', इस वायरल बयान में बॉडी शेमिंग क्यों नजर नहीं आती?

पाकिस्तान से भारत आने वाली सीमा हैदर और ग्रेटर नोएडा के एक किराए के घर में रहने वाले सचिन की लव स्टोरी को लेकर लोगों ने अपनी अपनी राय रखी. इसी कड़ी में सचिन के पड़ोस में रहने वाली एक महिला का स्टेटमेंट देखते ही देखते वायरल हो गया. लोग रील्स बना रहे हैं, हंसी-मजाक कर रहे हैं, लेकिन इस सब के बीच सबसे ज़रूरी जो बात है शायद उसे भुला दिया गया है.

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'सचिन! क्या है सचिन में? लप्पू सा सचिन है... वो झींगुर सा लड़का... बोलता वो है न... बोल वो पावे न... ऐसा क्या है सचिन में? उससे प्यार करेगी सीमा.' पाकिस्तान से भारत आने वाली सीमा हैदर और ग्रेटर नोएडा के एक किराए के घर में रहने वाले सचिन की लव स्टोरी को लेकर लोगों ने अपनी अपनी राय रखी. इसी कड़ी में सचिन के पड़ोस में रहने वाली एक महिला का स्टेटमेंट देखते ही देखते वायरल हो गया. जिसमें उसने सचिन को झींगुर बताते हुए तमाम बातें कह दीं. महिला का बयान महज बयान नहीं रहा बल्कि एक फेमस यूट्यूबर ने इस पर एक गाना भी बना दिया. इंस्टाग्राम पर स्क्रॉल करते जाएंगे तो आपको हर दूसरे मीम में यह स्टेटमेंट मिल ही जाएगा. 

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अब सचिन और सीमा के साथ साथ यह महिला भी कथित सोशल मीडिया सेंसेशन हो चली हैं. अब उनके घर के बाहर भी यूट्यूबर और मीडिया के लोग पहुंच रहे हैं कि शायद उनके साथ भी महिला का कोई वीडियो वायरल हो जाए. वायरल होने का यह नशा लगातार देखा जा सकता है कि इसके लिए लोग किस हद तक पहुंच रहे हैं. कोई जान जोखिम में डाल रहा है तो कोई उटपटांग हरकतें कर रहा है. और इस सब की वजह है- सोशल मीडिया पर वायरल होना.

लेकिन रील्स और मीम्स बनाकर हंसी-ठिठोली करते हुए लोग यह भूल गए कि यह जाने अनजाने सचिन की बॉडी शेमिंग करना है. हम भूल गए कि बॉडी शेमिंग का असर किसी के मानसिक स्वास्थ्य पर किस कदर पड़ सकता है. इस सब के बीच सबसे दुखद यह देखना है कि जो लोग बॉडी शेमिंग पर दिन भर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया करते थे, ऑफिस में अपने साथियों को एचआर के सामने खड़ा कर दिया करते थे वो भी इस मज़ाक उड़ाने वालों की कतार में खड़े हुए हैं. 

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शायद ही ऐसा कोई दफ्तर होगा जहां सचिन नाम का व्यक्ति काम कर रहा हो और उसके साथ इस डायलॉग पर रील्स न बनाई गई हों. ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मौजूद भद्र पुरुष और महिलाओं को यह विषय शायद बहुत विचार योग्य नहीं लगा. इसके पीछे कहीं समाजिक/आर्थिक या लैंगिक विभाजन तो नहीं है?

बहुत से लोगों का तर्क हो सकता है कि सच कहना बॉडी शेमिंग कैसे हो सकता है कि अगर कोई व्यक्ति मोटा है या दुबला है तो उसे ऐसा कहना उसका मजाक उड़ाना कैसे हुआ? ऐसे में हमें यह समझना होगा कि किसी भी व्यक्ति को नीचा दिखाने या उसका मज़ाक उड़ाने के लिए उसके आकार, रंग, रूप, बोली, भाषा और तमाम बातों को साधन बनाते हुए कहे गए शब्द भद्र समाज का हिस्सा नहीं माने जा सकते हैं.

हाल ही में एक फिल्म रिलीज हुई है, कमाई के मामले में फिल्म सौ करोड़ के क्लब में भी शामिल हो चुकी है. नाम है- रॉकी और रानी की प्रेम कहानी. फिल्म में कई बार इस बात पर गौर करवाया गया है कैसे जाने अनजाने हमारे द्वारा उड़ाया जा रहा मज़ाक किसी के मानसिक स्वास्थ्य पर कितना असर कर सकता है. फिल्म में एक लड़की लास्ट में इस बात पर अपने घरवालों पर चीख पड़ती है कि वह ओवरवेट है तो इसका मतलब उसका नाम गोलू नहीं है बल्कि गीतांजलि है. आलिया के पिता इस बात पर अपना दुःख जाहिर करते हैं कि अगर वो लड़के हैं और क्लासिकल डांस करते हैं तो इसकी वजह से उनके पुरुष होने पर ही सवाल खड़ा कर दिया गया. रॉकी रंधावा ने उसको अंग्रेजी नहीं आने पर उसका मज़ाक उड़ाया जाना याद दिला दिया. 

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कई मामले देखे गए जब लड़कियों को उनके रंग या वजन के कारण तानों का सामना करना पड़ता है. चेहरे पर चार पिंपल क्या निकल आएं, वो लोगों के सवालों के जवाब देते देते थक जाती है. रंग थोड़ा गहरा क्या हुआ, आते जाते कोई भी शख्स उसे चार उपाय बता जाता है. 

वहीं वजन कम या ज्यादा हुआ, तो आप सोच भी नहीं सकते कि उसे कितने अवसाद का सामना करना पड़ता है. मगर लोग ये नहीं समझते कि हर कोई उनके ब्यूटी वाले पैमाने पर फिट नहीं बैठ सकता. कोई पतला, मोटा या काला गोरा अनुवांशिक कारणों से भी हो सकता है.

रॉकी और रानी फिल्म देखने के दौरान थियेटर के अंदर कितनी ही महिलाओं ने 'गोलू' वाले स्टेटमेंट पर तालियां बजा दीं. साफ़ जाहिर है कि वो भी कहीं न कहीं ऐसे ही किसी नाम से हर दिन जूझ रही होंगी. यह सिर्फ एक जगह या एक सचिन की बात नहीं है हम अपने आस पास नज़र फिराएंगे तो पाएंगे कि कितने ही लोग रोजाना बॉडी शेमिंग का शिकार हो रहे हैं. पुलिस के रिकॉर्ड में कितने ही ऐसे मामले हैं जिसमें लोगों ने बॉडी शेमिंग के चलते आत्महत्या तक कर ली. ऐसे मामलों पर अगर नज़र फिराएं तो...

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* तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में बीते साल एक 13 साल की लड़की ने इसलिए आत्महत्या कर ली, क्योंकि वो बहुत मोटी थी और लोग उसका मज़ाक उड़ाया करते थे. 

* चेन्नई में बीते साल ही एक गर्भवती महिला ने इसलिए अपनी जान दे दी क्योंकि लोग उसके मोटापे का मज़ाक उड़ाया करते थे. 

* 2022 में ही दिल्ली के मंडावली की एक फैशन डिजाइनर ने आत्महत्या कर ली थी. वो दो कमरे के मकान में अपनी मां के साथ रहती थी. पिता का पहले ही निधन हो गया था. अपने सुसाइड नोट में उसने लिखा था, 'मैं जो भी कर रही हूं उसमें मेरी ही खुशी है. मैं बहुत कुछ करना चाहती थी, लेकिन शरीर मेरी हर जगह बेइज्जती करता है.' उसने कई फैशन से जुड़ी कंपनियों में इंटर्नशिप की थी लेकिन उसे नौकरी नहीं मिल रही थी. 

* 2021 के मार्च महीने में नोएडा से खबर आई कि सांवले रंग से परेशान एक लड़के ने 15वीं मंजिल से कूदकर जान दे दी.

* 2014 में एक 25 साल के शख्स ने अपनी जान इसलिए दे दी क्योंकि वो अपनी खराब पर्सनैलिटी के कारण परेशान था. उसने नोट में लिखा था कि वो समाज और दोस्तों के बीच सहज महसूस नहीं करता था. नोट में लिखा था कि उसके सिर पर बाल नहीं थे. कद काठी छोटी थी. इसके अलावा चेहरा भी अच्छा नहीं था. 

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ऐसे में जब एक बार फिर सचिन की पड़ोसन ने सचिन को झींगुर बता दिया है तो इस पर कहीं कोई चर्चा नहीं हो रही है, बल्कि मीम्स बन रहे हैं. लोग अपने आस पास किसी सचिन को ढूंढ रहे हैं ताकि इस वायरल कोट पर वीडियो बना सकें. 
 
सचिन और सीमा के प्यार को लेकर अपनी राय रखने वाली महिला का कहना है, 'प्यार के लिए कोई कारण होना चाहिए. नॉर्मल सी बात है, आदमी तो होना चाहिए. वो कीड़ा सा लड़का है, झींगुर सा...' ऐसे में एक सवाल तो यह भी खड़ा होता है कि यही बयान अगर किसी महिला की जगह पुरुष ने दिया होता क्या तब भी इसे इतना ही सराहा जाता? मस्ती-मज़ाक में लिया जाता? क्या हम तब भी रील्स और मीम्स बना रहे होते? हालांकि पुरुषों को 'एक जानवर' के साथ कंपेयर किया जाना शायद पुराना हो चला था इसलिए अब झींगुर एक नया कंपेरिजन हो सकता है. जो कि अद्भुत है. 

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