क्या आप जानते हैं कि हजारों नगमों को अपनी आवाज देकर अमर करने वाली लता मंगेशकर करीब एक साल तक बॉलीवुड माइक्रोफोन से दूर भी रही थीं.
सुरों की मलिका ने यह ‘मौनव्रत’ इंदौर घराने के दिग्गज शास्त्रीय गायक उस्ताद अमीर खां की सलाह पर लिया था. 80 वर्षीय लता के छोटे भाई और संगीत निर्देशक हृदयनाथ मंगेशकर ने रविवार रात ‘मैं और दीदी’ कार्यक्रम में उनके जीवन के ऐसे ही कई अनछुए पहलुओं का पिटारा खोला.
उन्होंने बताया कि वर्ष 1960 के आस-पास एक बार उंचा सुर लगाते वक्त लता को स्वर यंत्र (वोकल कॉर्ड) में किसी परेशानी के चलते अपनी आवाज फटती महसूस हुई. उनके साथ यह वाकया पहली बार हुआ था और वह अपनी परेशानी लेकर उस्ताद अमीर खां के पास पहुंचीं. मंगेशकर ने कहा, ‘खां साहब ने लता को सलाह दी कि बेहतर होगा कि वह अपनी इस परेशानी के मद्देनजर छह महीने तक मौन रहें और एक साल तक कोई गाना न गायें.’
उन्होंने बताया कि सुरों की मलिका का कॅरियर उस वक्त बुलंदियों पर था. बावजूद इसके उन्होंने इस सलाह पर बाकायदा अमल किया. इसके लिये वह मायानगरी मुंबई से बाहर भी रहीं. मंगेशकर के मुताबिक लता कोई एक साल बाद बॉलीवुड की सुरीली दुनिया में लौटीं और हेमंत कुमार के संगीत निर्देशन में फिल्म ‘बीस साल बाद’ (1962) का गीत ‘कहीं दीप जले, कहीं दिल’ गाया. इस गीत के लिये उन्हें सर्वश्रेष्ठ पाश्र्वगायिका का फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिला था.