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राज्यसभा में लोकपाल बिल पर बहस जारी

तमाम तरह की अटकलों के बीच लोकपाल बिल राज्‍यसभा में पेश कर दिया गया है. वी नारायणसामी ने इसे सदन में पेश किया.

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राज्यसभा
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तमाम तरह की अटकलों के बीच लोकपाल बिल राज्‍यसभा में पेश कर दिया गया है. वी नारायणसामी ने इसे सदन में पेश किया.

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बहुप्रतीक्षित लोकपाल बिल पेश होने के साथ ही इस पर चर्चाओं का दौर चल रहा है. किस पार्टी ने इस बिल को लेकर क्‍या रणनीति अपना रखी है, इसका खुलासा होने में अब ज्‍यादा विलंब नहीं है.

राज्यसभा में लोकपाल बिल को पास करवाना सरकार के लिए है टेढ़ी खीर क्योंकि सरकार के पास दो तिहाई बहुमत नहीं है. सरकार का कहना है कि अगर राज्यसभा में बिल नहीं हुआ पास तो संसद का साझा सत्र बुलाया जाएगा.

उधर, लोकसभा में लोकपाल को संवैधानिक दर्जा ना मिलने से सोनिया गांधी नाराज हैं. उन्होंने कहा, ‘बीजेपी की वजह से नहीं मिला लोकपाल को दर्जा, देश के सामने आया विपक्ष का असली चेहरा.’

बीजेपी ने सोनिया गांधी पर पलटवार करते हुए कहा, ‘लोकपाल को संवैधानिक दर्जा ना मिलना सरकार की हार है. बीजेपी ने सवाला उठाया है कि कांग्रेस के खुद अपने सांसद ही क्यों हुए वोटिंग के दौरान गायब. साथ ही बीजेपी ने कहा है कि पार्टी अब राज्यसभा में 21 संशोधन प्रस्ताव के साथ आएगी.

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लोकसभा में सरकार की फजीहत पर कांग्रेस आलाकमान भड़का. वोटिंग के दौरान गायब पार्टी के सभी सांसदों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया है. ह्विप के बावजूद गैरहाजिर रहने के खिलाफ कांग्रेस हाईकमान कार्रवाई करने का मूड बना रहा है.

लेकिन राज्यसभा में लोकपाल विधेयक के पारित होने पर अनिश्चितता दिखाई पड़ रही है क्योंकि तृणमूल कांग्रेस ने लोकसभा में पारित विधेयक में एक महत्वपूर्ण बदलाव की मांग की है जिससे सदन में आंकड़ों का खेल जटिल होता जा रहा है.

243 सदस्यीय उपरी सदन में तृणमूल कांग्रेस के छह सदस्य हैं. राज्यसभा में कांग्रेस और इसके सहयोगियों का बहुमत नहीं है. तृणमूल कांग्रेस चाहती है कि लोकसभा में पारित विधेयक में से राज्यों द्वारा लोकायुक्तों के गठन संबंधी प्रावधान को हटा दिया जाए. अगर सरकार संशोधन को स्वीकार करती है तो विधेयक को फिर से लोकसभा में भेजना होगा या इसकी मंजूरी के लिये संसद के संयुक्त सत्र को बुलाना होगा.

संप्रग के संकटमोचक एवं वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने सहयोगी तृणमूल कांग्रेस के नेताओं से वार्ता की लेकिन तृणमूल ने विधेयक के प्रावधानों पर कड़ी आपत्ति जताई. पार्टी का मानना है कि राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति उनके अधिकारों का अतिक्रमण है.

तृणमूल कांग्रेस के नेता मुकुल राय और संदीप बंदोपाध्याय ने मुखर्जी से मुलाकात की जिसके बाद राय ने कहा कि सरकार के लिये समस्या उत्पन्न करने का सवाल ही खड़ा नहीं होता. मुखर्जी द्वारा किसी और संशोधन की बात से संभवत: इंकार करने के बाद तृणमूल कांग्रेस ने लोकायुक्तों को हटाने के प्रावधान से संबंधित संशोधन रखने की बात कही है.

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243 सदस्यीय राज्यसभा में संप्रग के कांग्रेस एवं अन्य सहयोगियों की संख्या 94 है. इसे अब आठ नामित सदस्य और निर्दलीय एवं छोटी पार्टियों के दस सांसदों पर निर्भर रहना पड़ेगा.

लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक के लिये 122 सदस्यों के सामान्य बहुमत की जरूरत है. लेकिन पिछले दरवाजे की रणनीति संभवत: यह बन रही है कि बाहर से समर्थन देने वाली पार्टियां बसपा (18), समाजवादी पार्टी (छह) और राजद (चार) अनुपस्थित हो जाएं. उनकी अनुपस्थिति से सदन की कुल संख्या में कमी आ जाएगी और 215 सदस्यों के सदन में 108 के बहुमत की आवश्यकता होगी.

लोकपाल को संवैधानिक दर्जा देने वाले विधेयक को गिराने में बड़ी भूमिका निभाने वाले भाजपा ने संकेत दिया कि वह विधेयक के वर्तमान स्वरूप पर वोटिंग के खिलाफ है. राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरूण जेटली ने लोकपाल विधेयक के प्रावधानों पर कहा कि यह संघीय ढांचे का उल्लंघन है और जोर दिया कि संसद उस विधेयक को पारित नहीं कर सकती है जिसके बारे में वह जानती है कि यह संविधान के खिलाफ है.

पार्टी संविधान की धारा 252 के तहत लोकायुक्तों के गठन, लोकपाल की नियुक्ति और उन्हें हटाने के प्रावधान और सीबीआई को इसके दायरे में लाने का दबाव बनाने की खातिर संशोधन ला सकती है. भाजपा ने दावा किया कि सरकार के पास ऊपरी सदन में अपेक्षित संख्या नहीं है.

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बहरहाल प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उम्मीद जताई कि राज्यसभा विधेयक पारित करेगी और वह उतने ही आश्वस्त हैं जितना कोई हो सकता है. संवाददाताओं से बात करते हुए संसदीय मामलों के मंत्री पवन कुमार बंसल ने कहा, ‘मैं सिर्फ यही कह सकता हूं कि हम आश्वस्त हैं कि विधेयक पास कराने के लिये हमारे पास संख्या है.’

सरकार के प्रबंधकों को उम्मीद है कि अगर हालत बहुत ही बदतर रहे तो भी 216 सदस्यीय सदन में विधेयक के पक्ष में 114 मत पड़ जाएंगे. राज्यसभा में कांग्रेस के 71 सदस्य, जबकि इसके सहयोगी द्रमुक के सात, तृणमूल कांग्रेस के छह, राकांपा के सात, नेशनल कांफ्रेंस के दो और रालोद का एक सदस्य है. यह संख्या 94 होती है.

पार्टी को कुछ एक सदस्यों वाली पार्टियों, कुछ निर्दलियों एवं अन्य का भी समर्थन हासिल है. निर्दलियों एवं अन्य की कुल संख्या छह है जबकि नामित सदस्यों की संख्या आठ है. दो नामित सदस्यों मणिशंकर अय्यर और बालचंद्र मुंगेकर कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं.

विपक्ष में भाजपा के 51 सदस्य, वामपंथी पार्टियों के 19, जद यू के आठ, बीजद के छह, अन्नाद्रमुक के पांच, तेदेपा और शिवसेना के चार-चार, अकाली दल के तीन और अगप के दो सदस्य हैं.

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