scorecardresearch
 

Love Story: फ्लाइट के नहीं थे पैसे, विदेशी पत्नी से मिलने भारत से यूरोप साइकिल से पहुंचा शख्स, कई दिन रहा भूखा

पीके महानंदिया ने प्यार में वो किया, जो शायद ही कोई कर पाए. उन्होंने यूरोप में रहने वाली अपनी पत्नी से मिलने के लिए काफी संघर्ष किया. इस दौरान वो कई दिन तक भूखे भी रहे.

Advertisement
X
पत्नी से मिलने साइकिल से यूरोप तक पहुंचा शख्स (तस्वीर- Pexels/Pixabay)
पत्नी से मिलने साइकिल से यूरोप तक पहुंचा शख्स (तस्वीर- Pexels/Pixabay)

आपने अब तक एक से बढ़कर एक प्रेम कहानियों के बारे में सुना होगा. कुछ कहानियां ऐसी होती हैं, जिनमें कपल एक दूसरे के लिए कुछ भी कर गुजरते हैं. ऐसी ही कहानी भारत के आर्टिस्ट प्रद्युमन कुमार महानंदिया की भी है. उन्हें पीके महानंदिया के नाम से जाना जाता है. उनकी पत्नी स्वीडन की रहने वाली चार्लोट वॉन शेडविन हैं. इन दोनों की मुलाकात साल 1975 में दिल्ली में हुई थी. 

Advertisement

जब चार्लोट ने महानंदिया की कला के बारे में सुना, तो वो यूरोप से भारत तक उनसे मिलने आ गईं. उन्होंने उनसे अपना एक पोर्टेट बनवाने का फैसला लिया. जब वो चार्लोट से मिले, तब वो एक कलाकार के तौर पर अपनी पहचान बना ही रहे थे. वो दिल्ली के कॉलेज ऑफ आर्ट में पढ़ने वाले एक गरीब छात्र थे. जब महानंदिया, चार्लोट का पोर्टेट बना रहे थे, तभी दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया. 

कैसे दोनों को हुआ प्यार?

महानंदिया चार्लोट की खूबसूरती पर फिदा हो गए, जबकि महानंदिया की सादगी ने चार्लोट का दिल जीत लिया. जब चार्लोट का वापस अपने घर स्वीडन जाने का वक्त आया, तब दोनों ने शादी करने का फैसला लिया. बीबीसी को दिए अपने एक पुराने इंटरव्यू में महानंदिया ने कहा था, 'जब वो पहली बार मेरे पिता से मिलीं, तब उन्होंने साड़ी पहनी हुई थी. मुझे नहीं पता था कि वो सब कैसे संभालेंगी. अपने पिता और परिवार के आशीर्वाद से हमने आदिवासी परंपरा से शादी कर ली.'

Advertisement
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

A post shared by @mignonettetakespictures

स्वीडन जाते वक्त चार्लोट ने महानंदिया से अपने साथ चलने को कहा. मगर महानंदिया को अपनी पढ़ाई पूरी करनी थी. तब चार्लोट ने उनसे वादा किया कि वो स्वीडन में उनके घर आएंगे. इस बीच दोनों चिट्ठी के जरिए एक दूसरे से जुड़े रहे. एक साल बाद महानंदिया ने अपनी पत्नी से मिलने की योजना बनाई, मगर फ्लाइट का टिकट खरीदने के लिए पैसे नहीं थे. उनके पास जो कुछ भी था, उन्होंने वो सब बेच दिया और एक साइकिल खरीदी.

कई देशों को पार किया

अगले चार महीनों में उन्होंने पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान और तुर्की को पार किया. रास्ते में कई बार उनकी साइकिल टूटी और कई दिनों तक बिना खाना खाए रहना पड़ा. लेकिन परेशानी चाहे कितनी ही बड़ी क्यों न हो उनकी हिम्मत नहीं तोड़ पाई.  

पीके महानंदिया ने अपनी ये यात्रा 22 जनवरी, 1977 में शुरू की थी. वो हर रोज साइकिल से 70 किलोमीटर का सफर तय करते थे. महानंदिया कहते हैं, 'कला ने मेरा बचाव किया है. मैंने लोगों के पोर्टेट बनाए और कुछ ने मुझे पैसा दिया, जबकि कुछ ने खाना और रहने की जगह दी.' वो 28 मई को इस्तांबुल और वियना होते हुए यूरोप पहुंचे और गोथेनबर्ग तक ट्रेन से गए. यहां दोनों ने आधिकारिक रूप से शादी की. 

Advertisement

उनका कहना है, 'मुझे यूरोप की संस्कृति के बारे में कुछ नहीं पता था. वो सब मेरे लिए नया था लेकिन उन्होंने हर कदम पर मेरा साथ दिया. वो एक बेहद ही खास इंसान हैं. मैं आज भी उनसे उतना ही प्यार करता हूं, जितना 1975 में करता था.' ये कपल अब स्वीडन में अपने दो बच्चों के साथ रहता है. पीके महानंदिया आज भी एक आर्टिस्ट के तौर पर काम करते हैं. 

रोबोट बोली- नहीं पा सकूंगी इंसानों जैसा सच्चा प्यार

Advertisement
Advertisement