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पीएमटी फर्जीवाड़ा: किसान भी मेडिकल छात्र!

मध्य प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए ली गई प्री मेडिकल परीक्षा (पीएमटी) में हुए फर्जीवाड़े की सामने आ रही कहानियां चौंकाने वाली हैं. घूस के सहारे वे लोग भी इस परीक्षा में सफल हो गए, जो पढ़ाई छोड़कर खेती करने लगे थे.

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Symbolic photo
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मध्य प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए ली गई प्री मेडिकल परीक्षा (पीएमटी) में हुए फर्जीवाड़े की सामने आ रही कहानियां चौंकाने वाली हैं. घूस के सहारे वे लोग भी इस परीक्षा में सफल हो गए, जो पढ़ाई छोड़कर खेती करने लगे थे.

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राज्य में व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) पर पीएमटी परीक्षा आयोजित करने की जिम्मेदारी है. पिछले वर्ष पीएमटी में हुए फर्जीवाड़े की जांच विशेष कार्यदल (एटीएफ ) द्वारा की जा रही है. इसमें सामने आ रहे तथ्य आंखें खोल देने वाले हैं. पीएमटी फर्जीवाड़े में अब तक 12 से ज्यादा अधिकारियों की गिरफ्तारी हो चुकी है और कई छात्रों व उनके अभिभावकों को भी जेल जाना पड़ा है. इस मामले में कई सफेदपोशों की भूमिका संदेह के घेरे में है. ऐसे लोगों पर एसटीएफ की पैनी नजर है. ग्वालियर में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिससे फर्जी तरीके से चिकित्सक बनाने के खेल की नई तस्वीर उभरी है. मुरैना का दीपेश खरे वर्ष 2000 में हाईस्कूल में अच्छे अंक न आने पर पढ़ाई छोड़कर पिता के साथ खेती करने लगा था. उसे खेती करते पांच वर्ष हो गए थे, तभी उसका संपर्क मेडिकल कॉलेजों में दाखिला दिलाने वाले एक गिरोह से हुआ.

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पुलिस की गिरफ्त में आए दीपेश के मुताबिक वर्ष 2005 में उसे चिकित्सक बनने का प्रलोभन दिया गया. इसके लिए उसने स्वाध्यायी छात्र के तौर पर इंटरमीडिएट परीक्षा भी उत्तीर्ण की. इसके बाद दीपेश ने साढ़े तीन लाख रुपये दिए और परीक्षा दिए बगैर ही उसका पीएमटी में चयन हो गया.

पुलिस सूत्रों के अनुसार दीपेश ने वर्ष 2006 में ग्वालियर के गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय में दाखिला लिया. यह अलग बात है कि वह आठ वर्ष बाद भी एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाया. पुलिस सूत्र बताते हैं कि दीपेश ने पांच ऐसे लोगों के नामों का खुलासा किया है, जिन्होंने साढ़े तीन लाख रुपये देकर मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया था. पीएमटी फर्जीवाड़े की खुलती कहानियों के चलते उन विद्यार्थियों पर भी लोग शक करने लगे हैं, जिन्होंने मेहनत के बल पर सफलता हासिल की और चिकित्सक बने.

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