Mahakumbh 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ 2025 मेले का आगाज हो चुका है. इस मेले में देशभर से श्रद्धालु गंगा स्नान करने के लिए पहुंच रहे हैं. इसके साथ ही, दूर-दूर से साधु भी यहां आकर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं. कुंभ मेले में आए साधुओं का जीवन और उनकी तपस्या सभी को आकर्षित कर रही है. महाकुंभ के अखाड़ों में एक से बढ़कर एक हठयोगी पहुंच चुके हैं और अपनी धूनी रमा रहे हैं.
आज तक की टीम ने महाकुंभ में पहुंचे बाबाओं से बातचीत की और देखा कि इन बाबाओं की तपस्या इतनी कठिन और चुनौतीपूर्ण है कि हर एक साधु ने किसी न किसी प्रकार का कठिन अभ्यास या बलिदान किया है. उनकी साधना और जीवन की कठिनाइयां उनके समर्पण को दर्शाती हैं.
महाकाल गिरी अद्भुत
सबसे पहले महाकुंभ में पहुंचे इन हठयोगी बाबा से मिलिए, जिन्होंने पिछले 9 सालों से अपना बायां हाथ उठाकर रखा हुआ है. अपने बाएं हाथ को यह बाबा धर्म की ध्वजा मानते हैं, जो हमेशा ऊपर की ओर रहता है. इनके बाएं हाथ में अब लकड़ी जैसी अकड़न आ गई है और नाखून ऑक्टोपस के जैसे टेढ़े-मेढ़े हो गए हैं, जिससे अब उस हाथ में कोई जान नहीं बची है. ये बाबा आवाहन अखाड़े से हैं और गौ माता के प्रति अपनी श्रद्धा और गोहत्या विरोधी अभियान को अपनी वजह मानते हैं. उनका कहना है कि जब तक गौ माता पर अत्याचार होते रहेंगे, तब तक वह इसी हठयोग को जारी रखेंगे.
खड़ेश्वर महाराज
महाकुंभ 2025 में आए आवाहन अखाड़े के दूसरे हठयोगी हैं खडेश्वर महाराज. इनका हठयोग इतना कठोर है कि उन्होंने पिछले 11 सालों में कभी अपने पैरों को जमीन से उठाया नहीं है. वह कभी बैठे नहीं और न ही लेटे हैं. इन बाबा ने पिछले कई वर्षों से अपने हठयोग द्वारा खुद को खड़ा रखा है. बगल में सहारे के लिए टीन का एक ड्रम रखा है, जिसके ऊपर एक गड्ढा बना हुआ है. यह बाबा कई सालों से इसी स्थिति में खड़े हुए हैं.
जब उनके इस कठोर तप का कारण पूछा गया तो उन्होंने बताया कि वह धर्म कल्याण का उल्लेख करते हैं.अगर आप उनके पैरों को देखें तो वह सूजकर पत्थर जैसे हो चुके हैं और पैरों में घाव भी हैं, लेकिन फिर भी वह इस अवस्था में सालों से खड़े हैं.
इंद्री महाराज
इसी अखाड़े में एक और हठयोगी हैं, जिन्हें इंद्र गिरी महाराज कहा जाता है. पिछले 4 सालों से वे केवल सिलेंडर से ऑक्सीजन के जरिए ही सांस ले रहे हैं. कोरोना के बाद उनके फेफड़े पूरी तरह से खराब हो चुके हैं, जिस कारण वे अच्छे से सांस नहीं ले पाते लेकिन फिर भी उनकी अराधना जारी है. वह बड़े ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ कुंभ में पहुंचे हैं, नाक में ऑक्सीजन की पाइप लगी है और कहते हैं कि सब कुछ ठीक है.
इंद्र गिरी महाराज का कहना है कि इस स्थिति में भी वह शाही स्नान करेंगे, भगवान का भजन करेंगे और जन कल्याण के लिए अपना हठयोग जारी रखेंगे. डॉक्टरों ने कुछ साल पहले ही उनका इलाज बंद कर दिया था क्योंकि कोरोना के दौरान उनके फेफड़े पूरी तरह से खत्म हो गए थे. इसके बावजूद, वह ऑक्सीजन सिलेंडर के सहारे चलते हैं और इस कड़क ठंड में भी नाक में लगी ऑक्सीजन पाइप के जरिए अपने अखाड़े में बैठे हैं.
गीतानंद गिरी महाराज
गीतानंद गिरी इन दिनों आवाहन अखाड़े में अपनी विशेष उपस्थिति से आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. उनके सिर पर 45 किलो का रुद्राक्ष रखा हुआ है जो वह 24 घंटे में से लगभग 12 घंटे तक अपने सिर पर रखते हैं. जब उनका इस हठयोग के कारण के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि यह हठयोगी जनकल्याण और हिंदुत्व के लिए है और यह उन्होंने अपने गुरु से सीखा है.
गीतानंद गिरी के अनुसार, उनके माता-पिता ने उन्हें बचपन में गुरु के पास चढ़ा दिया था. उनका कहना है कि जब उनके माता-पिता को संतान नहीं हो रही थी, तब उन्होंने अपने गुरु से आशीर्वाद लिया और जब उन्हें संतान प्राप्त हुई, तो उन्होंने मुझे गुरु को चढ़ा दिया. तब से वह इस हठयोगी पथ पर चल रहे हैं. वह बताते हैं कि बचपन से लेकर अब तक यह उनकी साधना का हिस्सा बन चुका है और अब उनके शरीर पर इसका कोई खास असर नहीं होता, सब कुछ सामान्य रहता है.