आज है मौनी अमावस्या और आज ही के दिन लग रहा है सूर्य ग्रहण. 450 साल बाद महाकुंभ में सूर्य ग्रहण लग रहा है जिसका खास महत्व है. इस ग्रहण से पहले हरिद्वार से लेकर वाराणसी और उज्जैन से लेकर इलाहाबाद तक आस्था और आशीर्वाद की डुबकी के लिए लाखों भक्तों का सैलाब उमड़ चुका है.
हरिद्वार में इस पहली डुबकी के साथ शुरु हो चुका है महाकुंभ. सदियों में ये पहली बार हो रहा है जब महाकुंभ के दौरान सूरज पर ग्रहण लगेगा. ज्योतिषियों के मुताबिक ग्रहण होने पर सबसे ज्यादा स्नान, ध्यान, दान और अपने ईष्ट देवों की पूजा करनी चाहिए. गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर बसे प्रयाग में माघ मेला लग चुका है और मौनी अमावस्या के सूर्य ग्रहण पर सुबह से ही यहां लाखों भक्तों का मेला लगा हुआ है. शिव की नगरी वाराणसी के सारे घाटों पर तड़के से ही भक्त आ रहे हैं.
सूर्य ग्रहण के मौके पर शिव की नगरी काशी में रात से ही गंगा घाट पर श्रद्धालुओं और पंडितों का मेला लगा हुआ है. वैदिक विद्वानों ने सूतक लगने के साथ ही ग्रहण से सूर्य मुक्ति के लिए पूजा-पाठ शुरू कर दिया है. ग्रहण काल तक ये पूजा-पाठ चलता रहेगा. गुरुवार की रात 11 बजे से ही सूतक काल शुरू हो चुका है. शास्त्रों में इस दौरान बहुत सारे कार्य वर्जित माने गए हैं. इस दौरान बड़ी संख्या में लोग गंगा में डुबकी भी लगा रहे हैं.
मौनी अमावस्या में इलाहाबाद में माघ मेले का प्रमुख शाही स्नान है. इस दौरान नागा अखाड़े, गंगा-जमुना और सरस्वती के संगम में डुबकी लगा के पुण्य कमाते हैं. नागा अखाड़ों के साथ साथ इस दिन बड़ी संख्या में आम श्रद्धालु भी संगम में स्नान करते हैं. आज तड़के से ही संगम तट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है. लोग ग्रहण से पहले पवित्र डुबकी लगा लेना चाहते हैं.