बीते दिनों केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने महिला कर्मचारियों के लिए अनिवार्य पीरियड लीव के विचार पर विरोध जताया था. उन्होंने राज्यसभा में सांसद मनोज कुमार झा के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि मासिक धर्म जीवन का एक स्वाभाविक हिस्सा है और इसके लिए स्पेशल लीव प्रोविजन की जरूरत नहीं है. ईरानी ने कहा, 'मेंसट्रुएशन साइकिल कोई बाधा नहीं है, यह महिलाओं की जीवन यात्रा का एक स्वाभाविक हिस्सा है.'
मामा अर्थ की कोफाउंडर ने सुझाया तीसरा रास्ता
ईरानी के इस बयान पर लंबी बहस चली. वहीं अब ब्यूटी और बेबी प्रोडक्ट ब्रांड मामा अर्थ की कोफाउंडर गजल अलघ ने इसपर अपनी राय दी है. गजल ने चिंता जाहिर की कि पीरियड लीव की लड़ाई संभावित रूप से लैंगिक समानता को लेकर हुए सुधार को कमजोर कर सकती है. उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए इसका एक तीसरा ही रास्ता सुझाया है.
'बेकार हो जाएगी बराबरी की लड़ाई'
उन्होंने कहा 'हमने इक्वल ऑपरच्युनिटीज और महिलाओं के अधिकारों के लिए सदियों से लड़ाई लड़ी है और अब पीरियड लीव के लिए लड़ना इस कड़ी मेहनत को पीछे धकेल सकता है. तो इसका एक बेहतर समाधान क्या होगा? दर्द से जूझ रही महिलाओं को वर्क फ्रॉम होम की सुविधा दी जा सकती है.'
SC ने खारिज कर दी थी पीरियड लीव की मांग
गौरतलब है कि इसी साल 24 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने उस जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था, जिसमें सभी राज्यों को निर्देश देने की मांग की गई थी कि वे छात्राओं और कामकाजी महिलाओं के लिए उनके संबंधित कार्य स्थलों पर मासिक धर्म के दौरान छुट्टी के लिए नियम बनाएं. तब मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि निर्णय लेने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को एक प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है. यहां सीजेआई ने ये भी कहा था कि ऐसी संभावना भी हो सकती है कि छुट्टी की बाध्यता होने पर लोग महिलाओं को नौकरी देने से परहेज करें.
कई कंपनियां पहले से दे रहीं पीरियड लीव
हालांकि कुछ भारतीय कंपनियां जैसे इविपन, जोमैटो, बायजूज, स्विगी, मातृभूमि, मैग्जटर, इंडस्ट्री, एआरसी, फ्लाईमायबिज और गुजूप पहले से ही पेड पीरियड लीव ऑफर करती हैं. वही UK, चीन, जापान, ताइवान, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, स्पेन और जाम्बिया पहले से ही किसी न किसी रूप में मासिक धर्म दर्द अवकाश दे रहे है. लेकिन भारत में ये अभी भी बहस का मुद्दा बना हुआ है.