ग्रामर स्कूल में पढ़ने वाले एक लड़के ने जो किया, उससे उसका पूरा परिवार सन्न रह गया. उन्हें कतई अंदाजा नहीं था कि वो ऐसा कदम भी उठा लेगा. इस लड़के की पहचान 27 साल के शाबाज सुलेमान के तौर पर हुई है. वो अपने परिवार के साथ लंदन से तुर्की छुट्टियां मनाने गया था और फिर अचानक गायब हो गया. अब इस लड़के को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. वो वैश्विक आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) में शामिल होने सहित कई मामले में दोषी पाया गया है.
सुलेमान 2014 में परिवार के साथ छुट्टियां मनाए जाने के दौरान अचानक गायब हो गया था. फिर उसने अपने माता-पिता को ईमेल भेजा. इसमें उसने लिखा, 'मेरा ब्रेनवॉश या कुछ भी नहीं किया गया है. मैं महीनों से इसकी योजना बना रहा था. भाई लोग बहुत अच्छे हैं.' सुलेमान को 29 सितंबर 2021 में हीथ्रो एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया. तब उसने ब्रिटेन वापस लौटने की कोशिश की थी. उस पर आतंकवाद से जुडे़ तमाम आरोप लगाए गए.
2014 में आतंकी संगठन से जुड़ा
शुक्रवार को सुलेमान को अप्रैल में आतंकवादी गतिविधियों की तैयारी करने का दोषी पाया गया है. वो 2014 में ISIS से जुड़ने से पहले 18 साल की उम्र में व्हाट्सएप पर अपने दोस्तों को सिर कलम से जुड़ी तस्वीरें और वीडियो शेयर करता था. अभियोजक डंकन एटकिंसन ने कहा, 'अगस्त 2014 में परिवार के साथ तुर्की में छुट्टियां मनाए जाने के दौरान उसने ISIS से जुड़ने के लिए सीरिया में घुसने की कोशिश की. उसका उद्देश्य स्नाइपर बनना था. उसे शुरुआत में IS के साथ कैदियों की अदला बदली से पहले तुर्की में हिरासत में रखा गया था.'
सोशल मीडिया पर प्रचार किया
एटकिंसन ने बताया, 'सुलेमान इस्लामिक स्टेट में शामिल हो गया और उसके लिए कई काम किए. इसमें मिलिट्री पुलिस का हिस्सा बनना शामिल था.' वो आतंकी संगठन और उसकी विचारधारा का प्रचार करने वाले सोशल मीडिया अकाउंट चलाता था. स्कूल के दोस्तों ने बताया कि संगठन से जुड़ने से पहले वो व्हाट्सएप पर सिर कलम करने वाले वीडियो शेयर करता था. जब सुलेमान को IS नियंत्रित रक्का इलाके में भेजा गया, जहां भीषण लड़ाई चल रही थी, तो उसका IS से मन उकता गया.
कब भर गया ISIS से मन?
एटकिंसन कहते हैं, 'यहीं पर उसने IS की असलियत देख ली थी, कि वो केवल चारा है और यहां मरने के लिए भेजा गया है. वो ऐसी लड़ाई में था, जहां वो लड़ने के लिए नहीं जाना चाहता था. उसे रिजर्व लड़ाके के तौर पर भेजा गया था. बाकी सभी दस्ते मारे गए थे. यहां संगठन को लेकर उसके दृष्टिकोण में अहम मोड़ आया और उसने इसका असल मकसद देख लिया था.' वो पांच से छह महीने तक इससे बाहर निकलने के लिए बोल रहा था, लेकिन इजाजत नहीं मिल रही थी. तुर्की और पाकिस्तान भेजे जाने के बाद जब इस आतंकी संगठन का पतन हो गया, तो उसे फ्री सीरियन आर्मी (FSA) के एक गुट ने बंदी बना लिया था.