यह सवाल सदियों से इंसानों के मन में है: मरने के बाद क्या होता है? स्वर्ग और नरक के बारे में तमाम धार्मिक ग्रंथों में अलग-अलग मान्यताएं दी गई हैं.
हाल के सालों में कई लोगों ने अपने 'डेथ एक्सपीरियंस' को साझा किया है. कुछ ने खुद को अंधेरे और ठंडक में तैरते हुए महसूस किया, तो कुछ ने रोशनी के एक रास्ते की ओर बढ़ने का अनुभव बताया. इन अनुभवों को लोग कभी स्वर्ग का अहसास कहते हैं, तो कभी नरक की झलक.
इन दिनों सोशल मीडिया पर मृत्यु के करीब पहुंचने का एक अनुभव खूब चर्चा में है. मिरर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, न्यूयॉर्क शहर के एक व्यक्ति का यह वाकया Reddit पर शेयर किया गया, जो अब वायरल हो रहा है.
यह व्यक्ति ड्रग्स के ओवरडोज़ के कारण क्लिनिकली मृत घोषित कर दिया गया था. रिपोर्ट के मुताबिक, एंबुलेंस में उसका दिल तीन मिनट के लिए रुक गया था. हालांकि, चमत्कारिक रूप से वह वापस जीवित हो गया.
जब वह होश में आया, तो उसने अपना अनुभव साझा किया. उसने बताया कि उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे वह बर्फीले पानी के नीचे तैर रहा हो. चारों तरफ घना अंधकार था, और वह किसी भी तरह की भावनाएं महसूस नहीं कर रहा था, बस 'मौजूद' था.
'चारों तरफ सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा'
घटना के अनुसार, उस व्यक्ति का दिल एम्बुलेंस में अस्पताल जाते समय बंद हो गया था. डॉक्टरों ने उसके दिल की धड़कन रुकने के बाद उसे मृत मान लिया था, लेकिन चमत्कारिक रूप से उसकी धड़कन फिर से शुरू हो गई.जब वह होश में आया, तो उसने बताया कि उसे ऐसा लगा जैसे वह बर्फीले पानी में तैर रहा हो, चारों तरफ गहरा अंधेरा था. वह न तो कुछ सोच रहा था और न ही कोई भावनात्मक अनुभव कर रहा था, बस वह अपनी उपस्थिति को महसूस कर रहा था.
'नरक का संकेत था यह अनुभव'
अस्पताल में ठीक होने के दौरान, उसने इस अनुभव को 'नरक का एक हल्का पूर्वावलोकन' बताया. उसका मानना था कि यह उसके लिए चेतावनी थी कि वह अपना जीवन बदल ले. हालांकि, दुखद बात यह है कि इस घटना के बाद भी वह लंबे समय तक नशे से दूर नहीं रह पाया.
Reddit पर प्रतिक्रियाएं
इस कहानी ने Reddit पर बहस छेड़ दी. एक यूजर ने अपनी मां का एक सपना साझा किया, जिसमें उन्होंने खुद को आग और चीखों से घिरे देखा. यह सपना उनकी जिंदगी बदलने का कारण बना. एक अन्य यूजर ने लिखा कि नरक को अक्सर इसी तरह परिभाषित किया जाता है- एकांत, अंधकार और हमेशा के लिए अकेले होने का अहसास.
वहीं, कुछ मेडिकल प्रोफेशनल्स ने अपने अनुभव साझा किए. एक अस्पताल कर्मचारी ने बताया कि ऐसे मरीज, जो क्लीनिकली मृत घोषित होने के बाद होश में आते हैं, अक्सर गिरने या भ्रम की स्थिति का अनुभव बताते हैं. यह अनुभव किसी बुरे सपने जैसा हो सकता है, जहां गिरने का अहसास होता है और अचानक झटका लगकर नींद खुल जाती है.
क्या कहता है साइंस
हालांकि विज्ञान इस अनुभवों का सिलसिलेवार तरीके से जवाब देता है. साइंस कहती है कि मरने के दौरान शरीर में कई जैविक और रासायनिक बदलाव होते हैं, जो इन अनुभवों का कारण बनते हैं. जब दिल धड़कना बंद कर देता है, मस्तिष्क को ऑक्सीजन नहीं मिलती. इससे न्यूरल एक्टिविटी तेज हो जाती है, और व्यक्ति रोशनी या सुरंग जैसी चीजें देख सकता है.
डोपामाइन और सेरोटोनिन: मौत के करीब पहुंचने पर मस्तिष्क में ये रसायन रिलीज होते हैं, जो शांति या खुशी का एहसास देते हैं. 2013 में पब्लिश्ड रिसर्च: मिशिगन यूनिवर्सिटी ने चूहों पर किए गए एक अध्ययन में पाया कि मौत के समय मस्तिष्क में इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी बढ़ जाती है. यह इस बात का संकेत है कि मस्तिष्क 'सुपर अलर्ट' स्थिति में चला जाता है.