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हमशक्ल ने किया क्राइम, 17 साल जेल में रहा 'निर्दोष', रिहा होने पर...

जांच में पता चला कि जिस अपराध के लिए के लिए वह जेल में बंद था, वो क्राइम उसने किया ही नहीं था. अपराध को अंजाम देने वाला उसका हमशक्ल था. रिहा होने के बाद शख्स ने कहा है कि उसे अपनी किस्मत पर विश्वास नहीं हो रहा.

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17 साल जेल में बंद रहा शख्स (सांकेतिक फोटो- गेटी)
17 साल जेल में बंद रहा शख्स (सांकेतिक फोटो- गेटी)

एक शख्स ने 17 साल जेल में बिताए. जेल से बाहर आने के बाद उसे 8 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया. क्योंकि, जांच में पता चला कि जिस अपराध के लिए के लिए वह जेल में बंद था, वो क्राइम उसने किया ही नहीं था. अपराध को अंजाम देने वाला उसका हमशक्ल था. हमशक्ल की वजह से अपराधी को पहचानने में गड़बड़ी हो गई. जिसके चलते निर्दोष व्यक्ति को सजा भुगतनी पड़ी. ये मामला अमेरिका का है. शख्स ने कहा है कि उसे अपनी किस्मत पर विश्वास नहीं हो रहा.

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डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, 45 साल के रिचर्ड जोन्स को साल 2000 में डकैती के केस में जेल में हुई थी. लेकिन वर्षों तक ये नहीं पता चला कि डकैती रिचर्ड ने नहीं बल्कि उनके हमशक्ल ने की थी. जिसके चलते रिचर्ड को अपने जीवन का लगभग एक तिहाई समय जेल में बिताना पड़ा. 

हालांकि, जब पीड़ित और गवाहों को रिचर्ड के हमशक्ल रिकी अमोस की तस्वीर दिखाई गई तो मामले का खुलासा हुआ. मगर, तब तक बहुत देर हो चुकी थी. एक निर्दोष सालों तक जेल की सलाखों में बेवजह बंद रहा. 

रिकी अमोस (Image: Police Handout)

बताया गया कि डकैती 1999 में रिकी अमोस ने की थी. उसकी शक्ल रिचर्ड से मिलती थी. इसी के चलते पुलिस को असली अपराधी पहचानने में गलती हुई. हालांकि, रिचर्ड ने बताया कि वो घटना के वक्त अपनी प्रेमिका के साथ दूसरी जगह थे, लेकिन घटनास्थल पर साक्ष्य की कमी के कारण उन्हें दोषी ठहरा दिया गया. 

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जेल से रिहा होने के बाद परिवार से मिलते रिचर्ड

चश्मदीदों ने भी रिचर्ड को पहचानने में गलती कर दी और उन्हें ही डकैती करने वाला समझ लिया. जेल जाने के बाद रिचर्ड ने कई बार अपील की लेकिन साबित ना कर सके कि अपराध उन्होंने नहीं बल्कि रिकी अमोस ने किया था. 

ऐसे पता चली सच्चाई 

इस बीच मिडवेस्ट इनोसेंस प्रोजेक्ट और यूनिवर्सिटी ऑफ Kansas स्कूल ऑफ लॉ ने रिचर्ड के केस की जांच-पड़ताल की. अपनी जांच के माध्यम से उन्होंने पता लगाया कि रिचर्ड का हमशक्ल रिकी भी उसी जेल में बंद था जिसमें रिचर्ड बंद थे. रिकी दूसरे केस में जेल गया था. 

ये पता चलने के बाद डकैती की पीड़ित महिला और चश्मदीदों को रिकी व अमोस रिचर्ड से आमना-सामना कराया गया. दोनों की शक्ल इतनी मिलती-जुलती थी कि लोग हैरान रह गए. इस तरह रिचर्ड की रिहाई हुई और उसे बेकसूर करार दिया गया. 2017 में जेल से रिहा होने के बाद रिचर्ड को मुआवजे के रूप में 8 करोड़ रुपए दिए गए. 
 

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