दारूल उलूम देवबंद ने अपने नए फतवे में कहा है कि पति या पत्नी में से किसी के भी विवाहेतर संबंध इस्लाम की नजर में हराम हैं लेकिन इनसे उनकी शादी की वैधता प्रभावित नहीं होती.
दारूल उलूम की वेबसाइट पर प्रश्न 2444 में पूछा गया है ‘पति या पत्नी में किसी एक के विवाहेतर संबंध होने से क्या दोनों की शादी की वैधता समाप्त हो जाती है?’ इस सवाल के जवाब में फतवा दिया गया, ‘अगर पति या पत्नी में से कोई एक विवाहेतर संबंध स्थापित करता है, तो इससे उनके निकाह की वैधता पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता. उनका निकाह अपनी जगह कायम रहेगा.’
फतवे में इसके साथ ही यह भी कहा गया, ‘हालांकि इस्लाम के मुताबिक ऐसे संबंध (विवाहेतर) हराम और गैरकानूनी हैं और अवैध संबंध बनाने से व्यक्ति को पाप का भागी होना पड़ता है. इस पाप को दूर करने के लिए तौबा और इस्तिगफार करना जरूरी है.’