सत्तारूढ़ बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की बात हो तो उसे हर जगह नीला ही नीला दिखता है. चूंकि इस दल के झंडे का रंग नीला है, इसलिए जाहिर है कि इस पार्टी की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती यही चाहेंगी कि समाजवादी पार्टी (सपा), कांग्रेस और भाजपा सरीखे बाकी सभी दलों के रंग खत्म हो जाएं और हर जगह नीले रंग का बोलबाला हो. उनकी विचारधारा में नीला रंग आसमान का प्रतीक है, जो किसी जाति, लिंग, धर्म या अमीर और गरीब के आधार पर भेदभाव नहीं करता.
लिहाजा 'बहन जी' की चाटुकारिता के लिए अधिकारी प्रदेश भर में राज्य मशीनरी को नीले रंग में रंगने की होड़ लगाए हुए हैं. लोक निर्माण विभाग से लेकर स्वास्थ्य और शहरी विकास तक तथा नगर निगमों से लेकर सूचना एवं प्रचार विभाग तथा प्रदेश पुलिस तक, राज्य की मशीनरी में हर जगह नीला ही नीला रंग नजर आ रहा है.
मायावती के सबसे भरोसेमंद मंत्री नसीमुद्दीन की अगुआई वाले लोक निर्माण विभाग ने राज्य भर में नीले रंग के साइनबोर्ड लगवाए हैं और नवनिर्मित भवनों और सड़क के बीच डिवाइडरों की ग्रिलों पर नीला रोगन पोत दिया है. बड़े बाजारों और पॉश इलाकों के चौराहों को नीले रंग से पोता जा रहा है.
मुख्यमंत्री का प्रचार करने और अच्छी छवि बनाने वाला सूचना एवं प्रचार विभाग भी नीले रंग में नहा गया लगता है. इस विभाग में हर कहीं नीला ही नीला दिखता है. सरकारी वार्षिक डायरियों, पत्र-पत्रिकाओं, फोल्डरों, सड़क किनारे लगे होर्डिंगों और बैनरों से लेकर मुख्यमंत्री संबंधी कार्यक्रमों के आमंत्रण पत्रों तक में नीला रंग छाया हुआ है.{mospagebreak}
मुख्यमंत्री की राजनैतिक बैठकों और जन सभाओं के नीले में नहा उठने की बात तो समझ् में आती है, लेकिन सरकारी कार्यक्रमों में भी प्रबंध अधिकारी इसी रंग का चयन कर रहे हैं. मसलन, व्यापार मेले के दौरान जब मुख्यमंत्री दिल्ली में थीं तो उत्तर प्रदेश पैवेलियन में नीला कार्पेट बिछा था अथवा जब उन्होंने प्रेस वार्ता को संबोधित किया तो उसकी पृष्ठभूमि में भी नीला रंग था.
परिवहन विभाग मुख्यमंत्री को खुश करने के लिए एक कदम आगे बढ़ गया है. वह बसपा के सोशल इंजीनियरिंग संबंधी नारे सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय को चुराकर उसे सरकारी बसों पर चस्पां करके राज्य के कोने-कोने में उसका प्रचार कर रहा है. इस विभाग के आकाओं ने बसों पर तो पहले ही नीला रोगन करवा रखा है और अब उन पर सर्वजन हिताय...बस सेवा लिखवा रहे हैं.
दो साल पहले तत्कालीन पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह ने भी मुख्यमंत्री के जन्मदिवस पर उनके सरकारी आवास में मीडिया के सामने उन्हें चॉकलेटी केक खिलाकर खुश करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, जिस पर जनता ने उनकी खिल्ली उड़ाई थी. उनके कार्यकाल के दौरान ही ट्रैफिक पुलिस की सफेद-खाकी वर्दी को बदलकर सफेद-नीला कर दिया गया था, जो रंग में बसपा कार्यकर्ताओं के वर्दी की रंग से मिलती थी. लेकिन मायावती को खुश करने की उनकी चाल काम नहीं आई क्योंकि पिछले साल जब कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ गई तो उन्हें तत्काल पद से हटा दिया गया.
नए पुलिस महानिदेशक कर्मबीर सिंह भी उसी दिशा में बढ़ रहे हैं. मायावती के सपनों की परियोजना आंबेडकर पार्क और कांशीराम प्रेरणा स्थल से लेकर बसपा सरकार के राज में विकसित हुए मैदानों और स्मारकों की रक्षा के लिए राज्य पुलिस ने उत्तर प्रदेश विशिष्ट परिक्षेत्र सुरक्षा वाहिनी नाम से एक नया बल खड़ा किया है, जिसकी वर्दी भी नीले रंग की है.{mospagebreak}
अभी कुछ दिन पहले दीपावली के अवसर पर अधिकांश आइएएस और पीसीएस अधिकारी बसपा और मुख्यमंत्री के प्रति वफादारी जताने के लिए सरकारी कॉलोनियों में अपने घरों को नीली रोशनियों से सजाकर एक-दूसरे से होड़ करते रहे. पहले की सरकारों में यही अधिकारी किसी भी रंग की रोशनी से अपने घर सजा लिया करते थे, पर नीले से नहीं.
लखनऊ में विक्रमादित्य मार्ग पर स्थित वरिष्ठ आइएएस अधिकारी और अतिरिक्त कैबिनेट सचिव नेतराम का आवास नीले रंग की रोशनियों से जगमगा रहा था.
और फिर, मुख्यमंत्री के तौर पर जब मायावती अपना जन्मदिन मनाती हैं तो सब कुछ नीला ही नीला नजर आता है. सभागार में यही रंग छाया रहता है और अधिकारी नीले पैंट-शर्ट में उनके समक्ष हाजिरी बजाते हैं. अधीनस्थ अधिकारी ही नहीं, विपक्ष भी मायावती के नीले रंग से विभोर है. उनमें सर्वोपरि वरिष्ठ कांग्रेसी और विधानसभा में पार्टी के नेता प्रमोद तिवारी हैं, जिन्हें सरकारी कार्यक्रमों में अक्सर मुख्यमंत्री के साथ नीले रंग की नेहरू जैकेट में देखा जाता है.
भाजपा के प्रवक्ता और विधान परिषद सदस्य हृदय नारायण दीक्षित कहते हैं, ''मुझे लगता है कि मुख्यमंत्री मायावती को खुश करने की खातिर राज्य मशीनरी को नीले रंग में रंगने के लिए अधिकारी दोषी हैं.'' पिछले हफ्ते ही उन्होंने ''अधिकारियों के बसपा कार्यकर्ताओं की तरह व्यवहार करने और उन्हें उचित आवास न देने'' के विरोध में सदन की एक समिति से इस्तीफा दे दिया था. दीक्षित बुजुर्ग हो चुके हैं और उनकी टांग में चोट लगी है, लेकिन इससे भी बसपा के वफादार अधिकारी नहीं पिघले.{mospagebreak}
इतना ही नहीं कि राज्य मशीनरी और बसपा के वफादार अधिकारी बसपा के नीले रंग में रंगे हैं, खुद मायावती सरकार ने भी मुख्यमंत्री की सपनों की ज्यादातर परियोजनाओं में हाथी की प्रतिमाएं लगाने में सरकारी पैसे का इस्तेमाल किया है.
हाथी बसपा का चुनाव चिन्ह है. इसी वजह से एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग के समक्ष दायर की गई, जिसमें राज्य के खजाने का 'दुरुपयोग' कर इसका प्रचार करने का आरोप है. लेकिन पार्टी के महासचिव सतीश चंद मिश्र इस मामले में आयोग के सामने पेश हुए तो यह याचिका खारिज कर दी गई.
उत्तर प्रदेश में अधिकारियों और नेताओं का चाटुकारिता का इतिहास है. 1980 वाले दशक की शुरुआत में जब नारायणदत्त तिवारी मुख्यमंत्री थे तो संजय गांधी के स्लिपर उठाते देखे गए थे. तब मुख्यमंत्री पद की गरिमा को ठेस पहुंचाने पर उनकी व्यापक आलोचना हुई थी.
यही नहीं, बसपा संस्थापक कांशीराम जब विदेश दौरे पर गए थे तो बताया जाता है अधिकारियों के एक समूह ने उनके पांवों में मौजे पहनाए थे. और तो और, सन 2007 में जब सपा सरकार के सत्ता में तीन साल का जश्न मनाया जा रहा था तो बड़े नौकरशाहों को पार्टी के लखनऊ मुख्यालय में कतार बांधे देखा गया था. ऐसे में राज्य के अधिकारी यदि मुख्यमंत्री को खुश करने के लिए राज्य मशीनरी को नीले रंग में रंग रहे हैं तो इसमें नई बात क्या है.