लोगों की मौत के मामलों की जांच करने वाली महिला बारबरा बुचर ने बताया कि उन्हें इस काम से क्या कुछ सीखने को मिला है. वो पहले शराब की लत से परेशान थीं. गांव के एक छोटे से घर में रह रही थीं. अपनी फिजिशियन असिस्टेंट और हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन की नौकरी छोड़ चुकी थीं. तब उन्हें आत्महत्या के ख्याल आया करते थे. लेकिन इसके बाद उन्होंने अपनी इस लत को कंट्रोल में किया और जिंदगी में आगे बढ़ने का फैसला लिया.
न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, साल 1992 में, उन्होंने न्यूयॉर्क शहर के चीफ मेडिकल इग्जामिनर (ओसीएमई) ऑफिस में मेडिकोलीगल इन्वेस्टिगेटर (एमएलआई) के रूप में काम करना शुरू किया. वो 22 साल तक यही काम करती रहीं. अब उन्होंने इस पर एक किताब लिखी है. उन्होंने कहा कि वो आत्महत्या और हत्या के मामलों की जांच कर चुकी हैं. वो इसके लिए घटनास्थल पर गईं मौत के कारण का पता लगाने के लिए जांच की. उनका कहना है कि इस वक्त को वो काफी पसंद करती हैं. इस काम के चलते उन्होंने न्यूयॉर्क शहर का कोना कोना देखा है.
लोगों को सम्मान और पहचान देने का काम
बारबरा ने गरीबी और भूख से जान गंवाने वाले एक बुजुर्ग की मौत से लेकर भूख के कारण मरने वाली एक अमीर महिला की मौत तक, तमाम तरह के मामलों की जांच की है. उन्होंने बताया कि सोहो जैसी अमीर जगह पर रहने वाली एक महिला भूख के कारण मरी थी. जबकि वो अमीर थी. बारबरा ने विमान क्रैश और 9/11 आतंकी हमले में मारे गए लोगों की मौत की भी जांच की. उनका काम था इन लोगों की पहचान और नाम का पता लगाना ताकि इन्हें सम्मान मिल सके. उन्होंने बताया कि उन्हें जिदंगी भर ये काम करने बाद अहसास हुआ कि यही नौकरी उनके लिए मोक्ष है. वो कहती हैं, 'मरे हुए लोगों की जमीन पर, मैं खुद को जीवित महसूस किया.'