26 साल के राम चंद्रा ने करिअर में ऊंची छलांग लगाने में सफलता हासिल की है. कभी उनके पास पढ़ाई के लिए पैसे नहीं थे, लेकिन आज वह अमेरिका में गूगल के दफ्तर में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं.
सॉफ्टवेयर इंजीनियर राम को शुरू में गूगल के इंडिया ऑफिस में नौकरी मिली और बाद में उसे अमेरिका बुला लिया गया. राम के पिता तेजाराम संखला राजस्थान के सोजत में रहते हैं और आज भी मजदूरी करते हैं. बेटे के बार-बार कहने के बावजूद उन्होंने अपना काम नहीं छोड़ा है.
हिन्दी मीडियम स्कूल में पढ़ाई करने वाले राम को 2009 में आईआईटी रुड़की में एडमिशन मिला, लेकिन उनका पहला सेमेस्टर और काउंसिलिंग फीस किसी और ने भरी. आसपास के ही कुछ लोगों ने लैपटॉप खरीदने के लिए भी 30 हजार रुपये जमा किए. सेकंड ईयर में जाकर राम को एजुकेशन लोन मिल पाया.
राम की मां रामी देवी बताती हैं कि उन्हें शुरू से ही लगता था कि उनका बेटा कुछ अच्छा करेगा. कमाने के बाद राम ने घर पर 1.5 एकड़ जमीन भी खरीदी है जहां मां खेती का काम देखती हैं.
दिलचस्प बात ये है कि कॉलेज में पढ़ाई करने के दौरान स्कॉलरशिप के पैसे बचाकर राम ने अपने घर वालों के लिए एक किचन भी तैयार करवाया था. हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक, राम ने कहा कि कई लोगों को जब उन्होंने पैसे वापस करने चाहे तो उन्होंने लेने से मना कर दिया.' राम अब छात्रों की मदद करना चाहते हैं.
वहीं राम का 24 साल का भाई पढ़ाई में अच्छा नहीं कर सका और क्लास 8 में तीन बार फेल हुआ. फिलहाल वह पुणे में एक जूते की दुकान में काम करता है. उनकी बहन ज्योति घर पर ही रहती हैं और वह भी बीएससी के फाइनल ईयर में फेल हो गई थीं. राम का कहना है कि वह तब तक काम करना चाहते हैं जब तक आर्थिक रूप से स्थिर न हो जाए, इसके बाद वह घर लौटकर सामाजिक काम करना चाहेंगे.