जापान में एक ऐसी जगह है, जिसे मिनी इंडिया के नाम से जाना जाता है. इस जगह का नाम निशिकसाई है. इसका एक वीडियो यूट्यूब पर पोस्ट किया गया है. इसमें यूट्यूबर ने बताया है कि जापान में भारतीय लोग कैसी जिंदगी जीते हैं. इस दौरान वह निशिकसाई भी जाता है. जिसे जापान की इंडियन कॉलोनी कहते हैं. निशिकसाई राजधानी टोक्यो में स्थित है. यूट्यूबर को एक भारतीय व्यक्ति मिल जाता है, जो उसे आगे का रास्ता बताता है. यहां आने पर ऊंची-ऊंची इमारतें दिखाई देती हैं, जिनमें से ज्यादातर भारतीय लोगों की बताई जा रही हैं.
थोड़ा आगे तक चलने पर ही एक भारतीय रोस्टोरेंट दिखता है. निशिकसाई को लेकर अक्सर कहा जाता है कि यहां प्रवेश करते ही रेस्टोरेंट से भारतीय मसालों की खुशबू आने लगती है. जगह-जगह भारतीय परिवार दिखाई देते हैं. ऐसा कहा जाता है कि टोक्यो में रहने वाले अधिकतर भारतीय इसी इलाके में रहना पसंद करते हैं. निशिकसाई के उत्तर की तरफ उत्तर भारतीय खाने के रेस्टोरेंट हैं और दक्षिणी इलाके की तरफ दक्षिण भारतीय खाने के रोस्टोरेंट हैं.
भारतीय मिठाई की पहली दुकान
यूट्यूबर को इसके बाद एक भारतीय शख्स की दुकान दिखती है. जहां भारतीय मसाले और दूसरे सामान बेचे जाते हैं. दुकानदार से बात करने पर पता चलता है कि टोक्यो में सबसे ज्यादा भारतीय इसी इलाके यानी निशिकवाई में रहते हैं. इसके बाद मिठाई की मशहूर दुकान दिखती है. इसका नाम टोक्यो मिठाई वाला है. ये जापान की पहली भारतीय मिठाई की दुकान बताई जाती है. वीडियो में दुकान के अंदर भारतीय गानों की आवाज सुनी जा सकती है. मिठाई की दुकान में आते ही यूट्यूबर को दो भारतीय मिलते हैं जो लंबे समय से जापान में रह रहे हैं. दोनों अपने अनुभवों को साझा करते हैं. ये बताते हैं कि जापान में लोग अकेला रहना ज्यादा पसंद करते हैं और नियमों को बखूबी मानते हैं.
निशिकसाई जापान की वो जगह है, जहां हर तरफ देखने पर ऐसा महसूस होता है, जैसे आप भारत में हों. दरअसल इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी की जानकारी रखने वाले भारतीय इंजीनियरों को जापानी कंपनियां नौकरी करने और रहने के लिए राजधानी टोक्यो में आमंत्रित करती हैं. जापान और भारत के बीच अगस्त 2000 में हुए जापान-भारत ग्लोबल पार्टनरशिप से भी भारतीयों का यहां रहने आना काफी आसान बन गया है. भारतीय आईटी इंजीनियरों के लिए वर्किंग वीजा की अवधि भी बढ़ा दी गई है. टोक्यो में भारतीयों को सबसे ज्यादा निशिकसाई पसंद आता है क्योंकि यहां आने पर उन्हें ऐसा नहीं लगता कि वह किसी दूसरे देश में रह रहे हैं. यहां उन्हें अपनापन महसूस होता है.