सरकार ने गलवान वैली में चीन से हुए टकराव से जुड़ी जानकारियां सार्वजनिक कर दी हैं. अपनी पहली विस्तृत आधिकारिक जानकारी में रक्षा मंत्रालय ने 15 जून, 2020 को होने वाले टकराव के बारे में बताया कि गलवान घाटी(पूर्वी लद्दाख) में चलाए जा रहे ऑपरेशन स्नो लेपर्ड (Operation SNOW LEOPARD) के दौरान कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष बाबू को एक टास्क के साथ वहां तैनात किया गया. उन्हें टास्क दिया गया कि वे दुश्मन देश के एकदम सामने एक 'ओब्जर्वेशन पोस्ट' को स्थापित करें.
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कर्नल बाबू को आदेश मिला कि चुपचाप अपने सैनिकों को ऑपरेशन के लिए तैयार रखें, उन्हें संगठित रखें, और उन्होंने इस काम को सफलतापूर्वक संपन्न भी किया. अपनी पोजिशन संभालने के दौरान ही उन्हें दुश्मन द्वारा एक कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा जिसने घातक हथियारों और पत्थरबाजी से उनपर जानलेवा हमला कर दिया था.
दुश्मन की भारी मजबूत और संख्या में बड़ी सेना की हिंसा से बिना डरे भारतीय अफसर ने चीनी आक्रमण का मुकाबला किया. अफसर ने चीनी सैनिकों द्वारा भारतीय सैनिकों को पीछे हटाने की तमाम कोशिशों का जमकर प्रतिकार किया.
दुश्मन के अचानक आक्रमण किए जाने से घायल हुए कर्नल संतोष बाबू ने ऐसी विषम परिस्थिति में सामने से मोर्चे को संभाले रखा और अपनी पोजीशन पर दुश्मन सेना का जमकर प्रतिकार किया. ऐसी झड़प जिसमें सामने से हाथापाई भी हुई, जिसमें दुश्मन सेना ने अचानक से आक्रमण किया, कर्नल संतोष अपनी अंतिम सांस तक लड़ते रहे. जिसने भारतीय सैनिकों को अपने ग्राउंड पर पकड़ बनाए रखने के लिए जबरदस्त प्रेरणा दी.
गौरतलब है कि 15 जून को गलवान वैली में भारतीय सैनिकों को चीनी जवानों से झड़प हुई थी, जिसमें कर्नल संतोष बाबू समेत 20 जवान शहीद हो गए थे. तब के भारत और चीन के तनाव की स्थिति बनी है. दोनों पक्षों के बीच 9 दौर की बैठक हो चुकी है लेकिन मसले का कोई हल नहीं निकल पाया है. इस बीच सरकार ने गलवान के सभी शहीदों को सम्मान देने का फैसला किया है.