सड़क के बारे में शोध करने वाली एक एजेंसी ने अपने एक हालिया अध्ययन में बताया है कि देश के राष्ट्रीय राजमार्गों पर होने वाली कुल दुर्घटनाओं में से करीब 16 फीसदी दुर्घटनाएं नशे की हालत में गाड़ी चलाने के कारण होती हैं.
केन्द्रीय सड़क शोध संस्थान (सीआरआरआई) ने 5 साल के अध्ययन में बताया है कि इस अवधि में नशे की हालत में गाड़ी चलाने वालों से हुई 620 दुर्घटनाओं की तुलना में नशा न करने वालों से हुई दुर्घटनाओं की संख्या 3,316 रही.
बिना नशे की हालत में गाड़ी चलाने के कारण हुई दुर्घटनाओं में जहां 104 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, वहीं शराब पीकर गाड़ी चलाने के कारण हुई दुर्घटनाओं में केवल 20 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
दुर्घटनाओं के कुल 3,316 मामले में से 371 मामले घातक और 942 गंभीर किस्म के थे. इन सड़क हादसों में से शराब पीकर गाड़ी चलाने के कारण हुए 620 हादसों में से 63 घातक, जबकि 221 गंभीर किस्म के थे.
यह अध्ययन पांच साल में देश भर के 11 राष्ट्रीय राजमार्ग से जमा आंकड़ों पर आधारित है. ज्यादातर आंकड़े स्वर्णिम चतुर्भुज से जुड़े हैं. इन आंकड़ों में देश भर के विभिन्न थानों में दर्ज प्राथमिकी का भी विश्लेषण किया गया है.
अध्ययन पत्र के सह लेखक और सीआरआरआई में एक वैज्ञानिक एस वेलुमुरुगन ने बताया कि शराब न पीने वाले चालकों से हुई दुर्घटनाओं में ऐसे मामले सर्वाधिक हैं, जिनमें चालकों ने सड़क सुरक्षा और यातायात नियमों का उल्लंघन किया है.
वेलुमुरुगन ने कहा कि बिना नशे की हालत में गाड़ी चलाने वाले चालकों से हुई दुर्घटनाओं में से 90 प्रतिशत हादसे अंतर शहरी राजमार्गों (शहरों को जोड़ने वाले) पर हुए, जहां पर यातायात कम होता है.