शादी से जुड़ी ऐसी बहुत सी काली प्रथाएं हैं, जिनके खिलाफ कानून भी बन चुके हैं. लेकिन ये फिर भी जस की तस बनी हुई हैं. हैरानी तब होती है, जब पढ़े लिखे लोग भी इसे सही ठहराते हैं. वो भी तब, जब हर साल इसी प्रथा के कारण बड़ी संख्या में महिलाओं की मौत होती है. यहां हम दहेज की बात कर रहे हैं. इसी प्रथा का विरोध एक लड़की ने अपने तरीके से किया. ये महाराष्ट्र के पुणे की रहने वाली स्मिता घुगे हैं. वो एक पर्वतारोही हैं.
स्मिता के इस सफर की शुरुआत दहेज की मांग के खिलाफ हुई थी. जब स्मिता ने अनुभव किया कि लड़के वालों की तरफ से दहेज की मांग बंद ही नहीं हो रही, तब उन्होंने सात महाद्वीपों की सात ऊंची चोटियों पर इसके खिलाफ अभियान चलाने का फैसला लिया. स्मिता ने एक इंटरव्यू में बताया कि दोनों परिवारों के मिलने के बाद उन्हें लड़के की तरफ से फोन आया. उसने कहा कि उसके चचेरे भाई को 20 लाख रुपये दहेज मिला है, तो वो 18 लाख की उम्मीद कर रहा है.
शादी से बेहतर यात्रा करना समझा
स्मिता ने उस लड़के से शादी करने से इनकार कर दिया. इस पर लड़के ने कहा कि चलो बैठक करते हैं और दहेज पर मोल भाव कर लेंगे. तब स्मिता ने कहा कि वो दहेज के रूप में एक भी रुपया खर्च नहीं करेंगी. दहेज के लिए इतनी बड़ा रकम खर्च करने से बेहतर स्मिता ने अपनी खुशी के लिए यात्रा करना समझा. उन्होंने पर्वतों पर चढ़ाई करना शुरू किया. उनका कहना है कि वह एक ऐसे समुदाय से ताल्लुक रखती हैं, जिसमें प्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष रूप से गहनें और महंगे तोहफों को रूप में दहेज की मांग की जाती है.
एक एक कर कमियां दूर कीं
उनका कहना है कि ग्रेजुएशन के बाद ही पिता को शादी के लिए फोन आने लगे. तब लोग कहते कि लड़की ने सिर्फ ग्रेजुएशन ही किया है. इस कमी को दूर करने के लिए स्मिता ने पोस्ट ग्रेजुएशन किया. लेकिन तब भी रिजेक्शन मिल रहा था. तब उनके पास नौकरी नहीं थी. उन्होंने एक एक करके अपनी सभी कमियों पर काम किया. लेकिन फिर हाइट को लेकर रिजेक्शन मिलने लगा. तब उनके टीचर ने उनसे कहा कि अब हाइट तो नहीं बढ़ा सकते. लेकिन तुम अपनी उपलब्धियों से अपने व्यक्तित्व को जरूर ऊंचा कर सकती हो.
सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ीं
उन्होंने रूस और अफ्रीका की ऊंची चोटियों पर चढ़ाई की है. अपनी शादी के लिए रखे गहने बेचकर यात्रा का खर्च निकाला. वो माउंट किली मंजारो पर चढ़ीं. उन्होंने -25 से -35 डिग्री तापमान में भी चढ़ाई की है. स्मिता उस जगह पर जाना चाहती थीं, जहां से और ऊपर कोई नहीं जा सकता, यानी सबसे ऊंची चोटी. वो कई ऐसी लड़कियों से भी मिलीं, जो उनसे उम्र में बड़ी हैं. लेकिन शिक्षित होने के बावजूद भी उन्हें अच्छा जीवनसाथी नहीं मिल रहा. लड़कियां अच्छी नौकरी में हैं. लेकिन उनकी जिद भी बिना दहेज के शादी करने की है. चढ़ाई से लौटने के बाद उन्हें एक सामुदायिक मिलन समारोह में बुलाया गया. यहां लड़कियों ने उनसे कहा कि उन्होंने उनके मन की बात कही है.