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उपेक्षित है मुंशी प्रेमचंद का लमही स्थित आवास

कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की 130वीं जयंती पर आज सारा देश उन्हें याद कर रहा है. लेकिन इसी बीच मुंशी जी का लमही स्थित आवास उपेक्षित है. इसे आजकल एक गोदाम में तब्दील कर दिया गया है.

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कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की 130वीं जयंती पर आज सारा देश उन्हें याद कर रहा है. लेकिन इसी बीच मुंशी जी का लमही स्थित आवास उपेक्षित है. इसे आजकल एक गोदाम में तब्दील कर दिया गया है.

वर्ष 2005 में प्रेमचंद की 125वीं जयंती पर हुई घोषणाओं के क्रम में यूपी निर्माण निगम द्वारा पाण्डेयपुर चौराहे पर मंशी जी की प्रतिमा स्थापित करने के अलावा लाखों रुपये खर्च कर कई पत्थरों पर उनकी प्रमुख कहानियों उकेरी थी.

इधर कुछ माह पूर्व जब पाण्डेयपुर फ्लाईओवर का निर्माण शुरु हुआ तो प्रेमचंद की प्रतिमा एवं कहानी उकेरे पत्थरों को वहां से उखाड दिया गया.

इस पत्थरों को जिला प्रशासन ने मुंशी जी के खाली आवास में ही रखवा कर उसे गोदाम बना दिया और प्रतिमा गांव के स्मारक स्थल पर जमीन पर पडी हुई है.
इन पत्थरों व प्रेमचंद की प्रतिमा को कहां लगाया जाएगा और इन पर खर्च लाखों रुपये की भरपाई कैसे होगी इसका जवाब किसी के पास नहीं है. वाराणसी विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष आर पी गोस्वामी ने कहा कि मुंशी जी के लमही स्थित आवास का जीर्णेद्वार एक बार वीडीए ने कराया था लेकिन उसके रख रखाव का जिम्मा हमारा नहीं है.

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श्री प्रेमचंद स्मारक भवन एवं विकासीय योजना समिति के अध्यक्ष व लमहीवासी डा दुर्गा प्रसाद श्रीवास्तव ने कहा कि 2005 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री जयपाल रेडडी ने मुंशी जी के आवास को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया था लेकिन आजतक उस घोषणा का क्रियान्वयन नहीं हुआ.

उनके आवास पर पाण्डेयपुर से उखाडे गये पत्थरों को रखने का सवाल है तो वह मेरी ही सहमति से हुआ . कम से कम वहां वे पत्थर सुरक्षित तो है जब फ्लाईओवर बन जाएगा तो मुंशी जी की प्रतिमा व उससे संबंधित पत्थर चौराहे पर ही स्थापित किये जाएंगे.

इस निमित नक्शा वगैरह पास हो चुका है. देखना है कि मुंशी प्रेमचंद के आवास को राष्ट्रीय धरोहर के रुप में कब विकसित किया जाता है.

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