नर्सरी दाखिले को लेकर दिल्ली सरकार कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि दाखिले के पहले दिन खुद शिक्षा निदेशालय की वेबसाइट अपडेट नहीं थी.
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गाइडलाइन के मुताबिक 2 जनवरी से दाखिले की प्रक्रिया शुरू होनी थी और स्कूलों को निर्देश दिए गए थे कि 1 जनवरी तक सभी स्कूल अपनी वेबसाइट पर पॉइंट सिस्टम की जानकारी अपलोड कर देंगे. लेकिन 2 जनवरी को जब दाखिले की प्रक्रिया शुरू हुई तो EWS केटेगरी के लिए सेंट्रलाइज्ड ऑनलाइन आवेदन के लिए शिक्षा निदेशालय की वेबसाइट पर कोई सूचना नहीं थी. यहां तक कि दाखिले के लिए साल 2017-18 का लिंक भी अपलोड नहीं किया गया है. जिसकी वजह से अभिभावक परेशान नजर आ रहे हैं.
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नर्सरी दाखिले में पारदर्शिता बरकरार रहे इसलिए दिल्ली सरकार ने पिछले साल से EWS केटेगरी के लिए सेंट्रलाइज्ड ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू की थी. इस साल भी सरकार ने वही प्रक्रिया अपनाई लेकिन EWS केटेगरी के अभिभावकों के लिए ऑनलाइन आवेदन की ये प्रक्रिया समझना दिक्कतों से भरा है.
इंद्रपुरी से अपने बच्चे के दाखिले के लिए आये नंदलाल को ये तो पता है कि दाखिला ऑनलाइन होगा लेकिन कैसे और कहां होगा उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी. ये जानकारी जुटाने के लिए वो स्कूल पहुंचे. नंदलाल ने कहा कि ऑफलाइन आवेदन की प्रक्रिया आसान थी उसमें गलतियां होने की गुंजाइश कम होती थी. लेकिन ऑनलाइन आवेदन में डर बना रहता है.
EWS केटेगरी के जो पेरेंट्स ऑनलाइन प्रक्रिया से वाकिफ भी है वो भी परेशान भटक रहे हैं क्योंकि शिक्षा निदेशालय की वेबसाइट पर साल 2017-18 का लिंक अपडेट नहीं किया गया है. जो लिंक वेबसाइट पर है वो पिछले साल का है. जबकि शिक्षा निदेशालय ने प्राइवेट स्कूलों को रविवार तक क्राइटेरिया और पॉइंट सिस्टम अपलोड करने को कहा था.
जनरल केटेगरी के अभिभावक भी हुए परेशान
EWS केटेगरी के अभिभावकों की तरह जनरल केटेगरी के वो पेरेंट्स भी स्कूल दर स्कूल भटक रहे हैं, जिन्हें डीडीए की जमीन पर बने स्कूलों में अपने बच्चों का दाखिला करना है. लेकिन गाइडलाइन नहीं जारी होने की वजह से ऐसे अभिभावक निराश होकर वापस लौट रहे हैं. बता दें कि शिक्षा निदेशालय ने सरकारी जमीन पर बने करीब 298 स्कूलों को रविवार को एक बार फिर सर्कुलर जारी कर दाखिला की प्रक्रिया शुरू नहीं करने का आदेश दिया है.
दरअसल डीडीए से जमीन लीज पर लेते वक्त स्कूलों को इलाके के बच्चों को दाखिले में प्राथमिकता देने के बात कही गई थी. स्कूलों के मुताबिक वो पहले से ही दाखिले में नेबरहुड क्राइटेरिया को तवज्जो देते रहे हैं लेकिन अगर सिबलिंग, एलुमनाई जैसे दूसरे क्राइटेरिया को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया तो स्कूल और अभिभावक दोनों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी. लेकिन सरकार चाहती है कि प्राइवेट स्कूल 75% ओपन सीट पर नेबरहुड के बच्चों को अनिवार्य रूप से दाखिल दें. सरकार के इस फैसले को स्कूलों ने अदालत में चुनौती दी है.