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इंडिया टुडे कॉनक्‍लेव 2012 में अन्‍ना ने कहा, व्‍यवस्‍था में परिवर्तन जरूरी

इंडिया टुडे कॉनक्‍लेव में अन्‍ना हजारे ने कहा, जबतक सामाजिक प‍रिवर्तन नहीं आएगा तब तक बदलाव नहीं होगा. उन्‍होंने कहा कि भ्रष्‍टाचार देश को लगा हुआ महारोग है और परितर्वन में भ्रष्‍टाचार के खात्‍मे के साथ ही विकास भी बहुत जरूरी है.

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इंडिया टुडे कॉनक्‍लेव
इंडिया टुडे कॉनक्‍लेव

इंडिया टुडे कॉनक्‍लेव में अन्‍ना हजारे ने कहा, जबतक सामाजिक प‍रिवर्तन नहीं आएगा तब तक बदलाव नहीं होगा. उन्‍होंने कहा कि भ्रष्‍टाचार देश को लगा हुआ महारोग है और परितर्वन में भ्रष्‍टाचार के खात्‍मे के साथ ही विकास भी बहुत जरूरी है.

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उन्‍होंने कहा, 'मैं यहां कोई ज्ञान की बात बताने नहीं आया बस अपना अनुभव आपके साथ बांटूंगा.' गांधी जी ने कहा था गांव में चलो. जबतक स्‍वालंबी गांव नहीं खड़े होंगे तब तक देश तरक्‍की नहीं होगा. गांव बनाने के लिए वहां के लोगों को बनाना होगा.

अन्‍ना ने कहा, विकास के साथ ही उससे जुड़े भ्रष्‍टाचार को रोकने से ही देश की तरक्‍की होगी. अन्‍ना ने कहा, 'मेरे पास कुछ नहीं है, मंदिर में रहता हूं. गांव में घर है लेकिन 35 साल से गया नहीं, 3 भाई हैं लेकिन उनके बच्‍चों के नाम पता नहीं.'

उन्‍होंने बताया कि उनके आंदोलन से माहाराष्‍ट्र में 6 भ्रष्‍ट कैबिनेट मंत्रियों और 400 अधिकारियों की कुर्सी चली गई. लेकिन मंत्री के जाने से कुछ नहीं होगा, व्‍यवस्‍था को बदलना होगा.

सूचना के अधिकार के लिए 10 साल लड़ाई लड़ी, सरकार हां-हां करती रही लेकिन कनून बनाने को तैयार नहीं थी. पहले कानून महाराष्‍ट्र में बना और फिर उसका अनुकरण केंद्र सरकार ने किया 2005 में. अन्‍ना ने कहा कि भ्रष्‍टाचार पर रोक लगाने के लिए सिस्‍टम को बदलना होगा. सूचना का अधिकार कानून की मदद से भ्रष्‍टाचार कम हुए.

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उन्‍होंने बताया कि जब उन्‍होंने भ्रष्‍टाचार के मामले उजागर किए तो उनके खिलाफ 2 बार सुपारी दी गई, 30 लाख रुपये की सुपारी. अन्‍ना ने कहा कि भ्रष्‍टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़नी है तो जान हथेली पर लेकर चलना होगा. सूचना के अधिकार से केवल सूचना मिलती है लेकिन जेल भेजने की शक्ति नहीं. इसके लिए लोकपाल चाहिए जो दोषी को जेल भेजे और भ्रष्‍टाचार से अर्जित किए पैसे को वसूल कर सके.

अन्‍ना ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सरकार अपनी मर्जी से कानून बनाती है, ऐसे में अंग्रेजों में और इनमें क्‍या फर्क है. लोकतंत्र में जनता के लिए जनता के सहयोग से ही शासन होता है. जनता मालिक है ना कि नेता. लोकपाल की चर्चा करते हुए अन्‍ना ने कहा कि अगर लोकपाल आ गया तो सरकार और बाकी पार्टियों के आधे से ज्‍यादा लोग जेल में होंगे.

अगर लोकपाल होता तो चिंदबरम आज जेले में होते. उन्‍होंने कहा कि दिल्‍ली की संसद से जनसंसद कहीं ज्‍यादा बड़ी है. 16 अगस्‍त की तरह एक और बड़ा आंदोलन खड़ा करने की जरूरत है. ऐसे आंदोलन के बाद सरकार को या तो जनलोकपाल लाना होगा नहीं तो जाना होगा.

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