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नेताजी की मौत पर ममता सरकार ने सार्वजनिक नहीं की हैं करीब एक दर्जन फाइलें!

पश्चि‍म बंगाल की सरकार ने बीते शुक्रवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी 64 फाइलों को सार्वजनिक किया. तर्क दिया गया कि नेताजी की मौत से जुड़े रहस्य का सामने आना और इसे जानना देश के नागरिकों के लिए जरूरी है और उनका हक भी. लेकिन बताया जाता है कि नेताजी से जुड़ी करीब एक दर्जन फाइलों को ममता बनर्जी की सरकार ने अभी भी गुमनाम अंधेरे में ही रखा हुआ है.

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नेताजी पर शोध कर रहे विद्वान का दावा
नेताजी पर शोध कर रहे विद्वान का दावा

पश्चि‍म बंगाल की सरकार ने बीते शुक्रवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी 64 फाइलों को सार्वजनिक किया. तर्क दिया गया कि नेताजी की मौत से जुड़े रहस्य का सामने आना और इसे जानना देश के नागरिकों के लिए जरूरी है और उनका हक भी. लेकिन बताया जाता है कि नेताजी से जुड़ी करीब एक दर्जन फाइलों को ममता बनर्जी की सरकार ने अभी भी गुमनाम अंधेरे में रखा हुआ है.

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नेताजी के ऊपर शोध कर रहे विद्वानों का कहना है कि बोस की मौत और उससे जुड़े रहस्यों को सियासी रंग दिया जा रहा है. समझा जा रहा है कि ममता सरकार ने अगले साल होने वाले चुनाव के मद्देनजर कुछ फाइलों को सार्वजनिक कर भावानाओं का कार्ड खेला है. जबकि एक दर्जन से अधि‍क ऐसी फाइलों पर राज्य सरकार अभी भी बैठी हुई है, जिनसे कई बड़े खुलासे हो सकते हैं.

शोध कर रहे विद्वान मानते हैं कि तृणमूल के कई सांसद नेताजी के परिवार से जुड़े हुए हैं, ऐसे में सच्चाई को अभी भी रहस्य बनाकर ही रखा गया है. नेताजी पर तीन दशक से शोध कर रहे जयंतो चौधरी कहते हैं, 'इसके कई कारण हो सकते हैं. इसके पीछे राजनीतिक कारण हैं. नेताजी से जुड़ी कई फाइलें अभी भी गायब हैं. 1941 की जनवरी में कोलकाता से उनका गायब होना और आईएनए ट्रांजिट कैंप की दास्तान जहां अंग्रेजों ने सदस्यों की हत्या की थी.'

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अंतरराष्ट्रीय संबंधों को खतरा!
जयंतो कहते हैं, 'इसके पीछे राजनीतिक कारण हो सकते हैं, क्योंकि संभव है क‍ि फाइलों के सार्वजनिक होने से कई देशों से अंतरराष्ट्रीय संबंध खराब हो जाएं.' वह आगे कहते हैं कि अगर नेताजी ओर ईमिली के बीच संबंधों को लेकर कोई चिट्ठी है तो उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए. शि‍शि‍र बोस ने ईमिली को जो चिट्ठी लिखी थी वह भी गायब है, जबकि उसका मेमो नंबर उपलब्ध है.

1937 में नहीं हुई थी नेताजी की शादी!
जयंतो चौधरी कहते हैं कि यह बात गलत साबित होती है कि नेताजी ने 1937 में शादी कर ली थी, क्योंकि 1939 में उन्होंने पासपोर्ट के लिए अपने आवेदन में खुद को अविवाहित बताया है. सरकार के राजनीतिक कारणों से जस्टि‍स मुखर्जी कमीशन की फाइलों को भी सार्वजनिक नहीं किया है.

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