जिसका खून बहा, उसे भनक तक नहीं लगी और दुनिया भर में मच गया हल्ला. कुछ ऐसा ही हुआ मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर की ज़िंदगी की तस्वीरों से भरी किताब 'तेंदुलकर ओपस' के साथ. ये चर्चा जंगल में आग की तरह फैली थी कि किताब में सचिन के खून का इस्तेमाल हुआ है जबकि खुद सचिन ही ऐसी खबरों से बेखबर थे.
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर की ज़िंदगी की तस्वीरों से भरी किताब में उनका असली खून. पिछले हफ्ते ये खबर आने के बाद हर कोई दंग रह गया था कि सीमित संख्या में छपने वाली ये किताब बेशकीमती है, क्योंकि इसके सिग्नेचर एडिशन में सचिन तेंदुलकर के खून का इस्तेमाल किया गया है.
एक अखबार को दिए इंटरव्यू में खुद सचिन ने इस चर्चा को बेबुनियाद करार दिया. तेंदुलकर ने कहा है कि जिस वक्त ये खबर आई, तब मैं श्रीलंका में टेस्ट मैच खेल रहे थे. किताब में मेरा खून होने की चर्चा के बारे में मुझे गुरुवार को पता चला. इस बात में कोई सच्चाई नहीं है कि किताब में मेरे खून का इस्तेमाल किया गया है. इस किताब में सिर्फ मेरी तस्वीरें हैं और ये मेरी आत्मकथा या जीवनी नहीं है.
जिस किताब पर सचिन के खून होने की खबर से हंगामा मचा है, उसके लेखक हैं कार्ल फॉवर और किताब का शीर्षक है 'तेंदुलकर ओपस'. सीमित संख्या में छपने इस किताब के वाले सिग्नेचर एडिशन का वजन 40 किलो और कीमत करीब 35 लाख रुपये है. इस किताब को छोटे साइज़ में भी छापा जा रहा है, जिसकी कीमत 12 हज़ार रुपये होगी. {mospagebreak}
सचिन का कहना है कि इस किताब से होने वाली कमाई समाजसेवा में खर्च की जाएगी. अखबार को दिए इंटरव्यू में सचिन ने कहा कि देश की प्रमुख लाइब्रेरियों को उनकी किताब मुफ्त में उपलब्ध कराई जाएगी. फिलहाल किताब में क्या है, इससे ज़्यादा चर्चा किताब में सचिन के खून को लेकर थी. सचिन ने इससे इनकार किया, तो किताब के लेखक कार्ल फॉवर ने भी साफ कर दिया कि किताब में सचिन का खून नहीं लगाया जा रहा है.
लेखक का कहना है कि उनकी बात का ग़लत मतलब लगाया गया, जिससे बात का बतंगड़ बन गया. सचिन के मुताबिक इस किताब में उनकी ज़िंदगी और खेल से जुड़ी बेशुमार तस्वीरें समाई हुई हैं.