माना जा रहा था कि गणतंत्र दिवस समारोह के इतिहास में पहली बार सीमा सुरक्षा बल का ऊंट दस्ता इस बार 26 जनवरी को राजपथ पर नहीं उतरेगा. अधिकारियों ने बताया कि आधिकारिक निर्देश के अभाव में ऊंटों पर सवार होने वाले 90 सदस्यीय बीएसएफ जवान और बैंड टुकड़ी इस बार कार्यक्रम के लिए ड्रेस रिहर्सल के दौरान अभ्यास नहीं कर रही है.
उन्होंने कहा कि दस्ता पिछले कुछ महीनों से दिल्ली में है, लेकिन इसे रिहर्सल में शामिल नहीं किया गया है क्योंकि इस संबंध में कोई आधिकारिक आदेश नहीं जारी किया गया है. रेगिस्तान का जहाज कहे जाने वाले ऊंटों के बीएसएफ दस्ते को पहली बार 1976 के समारोहों में शामिल किया गया था. उसने थलसेना की ऐसी ही एक टुकड़ी का स्थान लिया था, जो 1950 से ही पहले गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल हो रही थी.
ऊंटों के साथ बजती थीं सामरिक धुनें
ऊंट दस्ते से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बीएसएफ की ऊंट टुकड़ी हर साल 26 जनवरी को राजपथ पर परेड का वास्तविक हिस्सा रही हैं. इसमें दो टीमें होती हैं. पहली टीम में 54 सदस्य जवान होते हैं, जबकि दूसरी 36 सदस्यीय बैंड टीम होती है. पहली टीम में बीएएसफ जवान हथियारों से लैस होकर ऊंट पर सवार रहते हैं, जबकि दूसरी टीम के सदस्य रंगबिरंगे कपड़ों में होते हैं और सामरिक धुनें बजाते रहते हैं.
इस बार दिखेगा कुत्तों का दस्ता
अधिकारियों ने कहा कि इस बार 26 जनवरी के परेड में कई बदलाव किए जा रहे हैं. आईटीबीपी, सीआईएसएफ और एसएसबी जैसे अर्धसैनिक बलों को शामिल नहीं किया जा रहा है, वहीं कई नयी चीजें भी शुरू की जा रही हैं. इनमें थलसेना के कुत्तों के दस्ते को शामिल किया जाना भी शामिल है. इसके अलावा फ्रांसीसी सैनिक भी परेड में शामिल होंगे.
उन्होंने कहा कि संभव है कि ऊंट टुकड़ी 29 जनवरी को होने वाले 'बीटिंग दि रीट्रीट' कार्यक्रम में भी शामिल नहीं हो सके. इस बार के कार्यक्रम में फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलांद मुख्य अतिथि होंगे.