दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को कोई राहत नहीं देते हुए बुधवार को उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया. इसने उच्च न्यायालय में कुमार की अग्रिम जमानत याचिका पर गुरुवार को होने वाली सुनवाई से पहले सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी किए जाने की संभावना पैदा कर दी है.
दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें राहत देने से इनकार करने के बाद बुधवार को अदालत में कुमार के हाजिर नहीं होने पर सख्त रुख अपनाते हुए अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट लोकेश कुमार शर्मा ने कहा कि कुमार की उनके समक्ष पेश होने की जिम्मेदारी थी. एसीएमएम ने कहा, ‘आरोपी को बुधवार को अदालत में उपस्थित होने को कहा गया था लेकिन उसने उपरी अदालत में चुनौती देने का रास्ता चुना और सही किया लेकिन वह कोई राहत नहीं पा सका. अदालत के आदेश का सम्मान करना उसका कर्तव्य था.’
अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई के विशेष अभियोजक और वरिष्ठ अधिवक्ता आर एस चीमा ने कुमार के वकील के उस आवेदन का विरोध किया जिसमें उन्होंने अपने मुवक्किल को अदालत में व्यक्तिगत पेशी से छूट देने की मांग की थी. उन्होंने कहा कि इस तरह की अर्जी को मंजूर करना आरोपी को राहत देना होगा जिसे फिलहाल उच्च न्यायालय ने मंजूरी नहीं दी है.
बड़ी तादाद में सिखों ने कड़कड़डूमा अदालत के बाहर बुधवार दोपहर प्रदर्शन किया और कुमार को सजा-ए-मौत देने की मांग की. इससे पहले दिन में, उच्च न्यायालय ने कुमार की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई गुरुवार तक स्थगित कर दी. बाहरी दिल्ली से पूर्व सांसद कुमार ने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.
निचली अदालत ने गत 15 फरवरी को कुमार को इस मामले में अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था. उच्च न्यायालय में उनकी अर्जी के मद्देनजर निचली अदालत ने इस मुद्दे पर दो बार सुनवाई स्थगित की. गौरतलब है कि सीबीआई ने 1984 के दंगे से जुड़े दो अलग मामलों में कुमार समेत 13 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था.