नोटबंदी के बाद एक तरफ तो लोग बैंको और एटीएम के बाहर कतारों में लगे हैं तो वहीं दूसरी तरफ अब उन पर आटा और तेल जैसी चीजें महंगी होने की दोहरी मार पड़ी है. दिल्ली में इन दिनों आटा, चना दाल और तेल बढ़ी हुई कीमतों पर बिक रहे हैं.
खुदरा हो या थोक...हर जगह आटा और तेल की कीमतें 2 रुपये से लेकर 5 रुपये तक बढ़ गई हैं. रिफाइंड तेल में भी 10 से 15 रुपये की बढ़ोतरी हुई है. थोक बाजार में जो आटा 15 दिन पहले 20 रुपये किलो बिक रहा था वो अब 24 रुपये किलो बिक रहा है. इसके अलावा रिफाइंड तेल इन दिनों 70 रुपये किलो तक बिक रहा है जबकि 15 दिन पहले यही तेल 60 रुपये में मिल रहा था.
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जाहिर है थोक में कीमतें बढ़ी तो असर खुदरा बाजार पर भी पड़ना ही था. खुदरा बाजार में जो आटा 15 दिन पहले 22 रुपये में बिक रहा था वो अब 25 रुपये किलो की दर से बिक रहा है. इसके अलावा 15 दिन पहले 80 रुपये किलो की दर से बिकने वाले रिफाइंड तेल इन दिनों 85 से लेकर 90 रुपये किलो तक बिक रहा है. 90 रुपये किलो बिकने वाली चना दाल भी 140 रुपये किलो की दर से बिक रही है. लेकिन राहत की बात ये है कि चावल और अरहर दाल की कीमतों में कोई इजाफा नहीं हुआ है. उल्टा अरहर की दाल की कीमतों में 60 से 70 रुपये की गिरावट दर्ज की गई है.ॉ
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एक तो आटा-तेल महंगा और उपर से जेब या घर में कैश की कमी ने लोगों को उधार पर सामान लेने पर मजबूर कर दिया है. हालांकि दुकानदारों ने भी ग्राहकी तोड़ने से ज्यादा अच्छा उधार देना ही समझा लेकिन अब उनके सामने भी नगदी की संकट आ गया है जिससे अब उधारी से वो भी तौबा कर रहे हैं.
क्यों बढ़ रहे दाम?
दुकानदारों की मानें तो बार-बार लाइन में लग कर नगद निकालने से बचने के लिए लोग एक ही बार में ज्यादा सामना लेकर इकठ्ठा कर रहे हैं वहीं बड़े व्यापारियों पर भी जमाखोरी को शक है जो आटा और तेल जैसी चीजों को बड़ी संख्या में जमा कर रहे हैं ताकि कीमतें बढ़ने पर मोटा मुनाफा कमाया जा सके. बहरहाल वजह जो भी है, नोटबंदी का असर सड़क से लेकर किचन तक दिख तो रहा है और अच्छे दिनों का इंतजार कर रही जनता ये़ह सब सहन करने को तैयार भी है लेकिन सवाल है आखिर कबतक?