महंगाई बढ़ने के साथ ही दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के सांसदों ने बेहतर वेतन पैकेज की मांग शुरू कर दी है.
संसद की एक स्थायी समिति ने सिफारिश की है कि सांसदों का मासिक वेतन 16,000 रुपये से बढ़ा कर 80,001 रुपये यानी केंद्र सरकार के सचिव के वेतन से एक रुपया अधिक कर दिया जाए. सरकार इस पर विचार कर रही है.
संसदीय मामलों के मंत्री पी के बंसल ने बताया कि सांसदों के वेतन और भत्तों में कितनी वृद्धि की जाए, इस बारे में अभी कुछ तय नहीं किया गया है. उन्होंने बताया ‘‘अभी विचार-विमर्श किया जा रहा है और कोई फैसला नहीं किया गया है. जल्द ही इस पर संबद्ध मंत्रालयों से बातचीत की जाएगी. हमें उम्मीद है कि इसे जल्द ही मंत्रिमंडल में रखा जाएगा ताकि अगले माह शुरू हो रहे संसद के सत्र में इस बारे में एक विधेयक लाया जा सके.’’
बंसल ने कहा कि खर्च में वृद्धि को देखते हुए समय समय पर संबंधित अधिनियम में संसद में संशोधन करने में कुछ भी गलत नहीं है. संसद के 795 सांसदों के वेतन में अंतिम वृद्धि करीब दस साल पहले की गई थी। इनमें 545 सांसद लोकसभा के और 250 राज्यसभा के हैं.{mospagebreak}सरकारी कर्मचारियों के लिए छठे वेतन आयोग का गठन जनवरी 2006 में किया गया था, लेकिन जिस तरह वेतन वृद्धि की मांग की गई है उसे लेकर विवाद भी उठ गया है. मार्क्सवादी सीताराम येचुरी कह चुके हैं कि उनकी पार्टी सांसदों द्वारा अपने वेतन के बारे में फैसला करने के कदम का विरोध करेगी क्योंकि यह गलत है.
पिछली लोकसभा में भी तत्कालीन अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने वेतन वृद्धि के मामले पर विचार के लिए वेतन आयोग जैसी संस्थागत प्रक्रिया के पक्ष में राय दी थी. उन्होंने तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक पत्र भी लिखा था कि उन्हें लगता है कि अपने वेतन के बारे में सांसदों का खुद ही फैसला करना उचित नहीं है.{mospagebreak}चटर्जी ने बताया कि उन्हें सरकार ने सूचित किया था कि लोकसभा में ऐसी प्रक्रिया स्थापित करना संभव नहीं है और इस पर बाद में विचार किया जा सकता है. बहरहाल, कुछ अन्य देशों की तुलना में हमारे देश में सांसदों का वेतन ‘‘कम’’ होने के बारे में दो राय नहीं हैं.
एक सांसद ने कहा कि समीपवर्ती श्रीलंका में सांसदों को एक शानदार कार मिलती है जिसे वे अपने कार्यकाल की समाप्ति पर कम मूल्य में खरीद सकते हैं. एक अन्य सांसद ने कहा कि अमेरिका में एक सीनेटर अपने स्टाफ में 18 कर्मचारी रख सकता है जबकि भारत में एक सांसद का साचिवीय भत्ता (सेक्रेटेरियल अलाउंस) केवल 20,000 रुपये है. इस राशि में कंप्यूटर के जानकारी स्टाफ को रख पाना संभव नहीं है.