केंद्र सरकार ने पोर्न पर पूरी तरह बैन लगाने को लेकर हाथ खड़े कर दिए हैं. अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सरकार की ओर से सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि 'हम हर किसी के बेडरूम में घुसकर नहीं देख सकते कि वे क्या कर रहे हैं.'
रोहतगी ने मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली बेंच से कहा कि पोर्न पर बैन के लिए संसद और समाज में बड़ी बहस की जरूरत है. यह बेंच पोर्न को बैन करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है.
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इस बीच, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स ने भी सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उसके निर्देश अस्पष्ट हैं और इन्हें लागू नहीं किया जा सकता. इनके संगठन ने सरकार से बैन हटाने की मांग की है. सरकार ने पहले कहा था कि यह बैन सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला आने तक अस्थायी है.
पोर्न बैन पर अब तक सरकार ने क्या किया
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पिछले हफ्ते केंद्र सरकार ने पोर्न को बढ़ावा देने वाली 857 वेबसाइट ब्लॉक कर दी थी. लेकिन बाद में अपने फैसले से पीछे हटते हुए सिर्फ चाइल्ड पोर्न कंटेंट वाली साइट ही बैन रखने को कहा था. इसे मोदी सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.
पोर्न बैन से पीछे हटना मोदी सरकार के लिए झटका
ट्विटर पर फूटा था गुस्सा
सरकार के पोर्न साइट बैन करने को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूटा था. इसके बाद ही सरकार ने अपना फैसला वापस लिया था.
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