ऑर्गन ट्रांसप्लांट कराने वाले मरीजों में भावनाओं, रुचियों और यादों में अजीब बदलाव देखने को मिलते हैं. यह बदलाव सबसे अधिक हृदय प्रत्यारोपण (हार्ट ट्रांसप्लांट) कराने वाले मरीजों में देखा गया है, लेकिन किडनी, फेफड़े और यहां तक कि चेहरा प्रत्यारोपित कराने वालों ने भी अपने भोजन की पसंद, म्यूजिक सेलेक्शन और यहां तक कि प्यार और रोमांस तक की इच्छा में बदलाव की रिपोर्ट की है.
कुछ मामलों में, मरीजों की नई रुचियां और पसंद उनके डोनर की रुचियों से मेल खाती हैं. इसने विशेषज्ञों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या प्रत्यारोपण के साथ मरीज अपने डोनर की यादें और इमेशंस भी ग्रहण कर रहे हैं. एक रिसर्च में ऐसा दावा किया गया है.
अद्भुत मामलों की कहानियां
डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार 2024 में पब्लिश एक रिव्यू में ऐसा दावा किया गया है कि एक मामले में नौ साल के लड़के को तीन साल की लड़की का दिल प्रत्यारोपित किया गया. उसकी मौत स्विमिंग पूल में डूबने से हुई थी. लड़के की मां ने बताया कि उसके बेटे को अब पानी से काफी डर लगने लगा है. जबकि उसे यह पता ही नहीं था कि उसकी डोनर की मृत्यु कैसे हुई थी.
एक अन्य मामले में, एक कॉलेज प्रोफेसर को एक पुलिस अधिकारी का दिल मिला, जिसे चेहरे पर गोली मारी गई थी. प्रोफेसर ने कहा कि उन्हें अक्सर 'एक चमकती रोशनी' दिखाई देती है और उनके चेहरे पर तेज गर्मी महसूस होती है.
खाने-पीने की आदतों में मिला बदलाव
2002 में एक अध्ययन में एक महिला का उल्लेख किया गया, जिसे डोनर के खाने की आदतें विरासत में मिलीं. वह एक फिटनेस फ्रिक डांसर थीं, लेकिन ट्रांसप्लांट के बाद उन्हें अचानक से केंटकी फ्राइड चिकन (KFC) के नगेट्स खाने की गहरी इच्छा हुई. दिलचस्प बात यह है कि जब उनके डोनर की मृत्यु हुई थी, तो उनकी जैकेट से आधे खाए KFC नगेट्स मिले थे.एक अन्य मामले में, 29 वर्षीय महिला, जिसे 19 वर्षीय शाकाहारी युवक का दिल मिला था, उसने मांस खाने से परहेज करना शुरू कर दिया.
भोजन और सेक्सुअल इंटरेस्ट में बदलाव
ट्रांसप्लांट के बाद सेक्सुअल इंटरेस्ट में बदलाव भी सामने आया. एक पुरुष, जिसने एक समलैंगिक महिला कलाकार का दिल प्राप्त किया था, उसने महिलाओं की ओर अधिक आकर्षण महसूस किया. वहीं, एक समलैंगिक महिला, जिसने एक विषमलैंगिक महिला का दिल प्राप्त किया, उसे पुरुषों की ओर आकर्षण महसूस करना शुरू किया.
दिल और दिमाग का गहरा संबंध
शोधकर्ताओं का मानना है कि यह इसलिए हो सकता है क्योंकि दिल और दिमाग आपस में गहराई से जुड़े होते हैं. दिल में जो न्यूरॉन्स और कोशिकाएं होती हैं, वो दिमाग के समान होती हैं. इसके अलावा, अंग प्रत्यारोपण के बाद जीन, जो व्यक्तित्व और अन्य लक्षणों को नियंत्रित करते हैं, अलग तरीके से सक्रिय हो सकते हैं.
सेलुलर मेमोरी की संभावना
रिसर्चर ने लिखा है कि हार्ट ट्रांसप्लांट से डोनर के व्यक्तित्व और यादों का ट्रांसफर हो सकता है. यह पारंपरिक विचारों को चुनौती देता है कि यादें और पहचान केवल दिमाग में होती हैं. शोधकर्ताओं ने इस बदलाव का कारण सेलुलर मेमोरी को माना है. इस सिद्धांत के अनुसार, हर कोशिका के पास यादें बनाने की क्षमता हो सकती है. हालांकि, यह प्रक्रिया अब तक स्पष्ट नहीं है.
कुछ मानते हैं सिर्फ संयोग
कई विशेषज्ञ इस बात को सिर्फ संयोग मानते हैं और मानते हैं कि यह केवल मरीजों की मानसिक प्रतिक्रिया हो सकती है. कुछ शोधकर्ताओं का कहना है कि इम्यूनोसप्रेसेंट दवाएं, जो प्रत्यारोपण के बाद ली जाती हैं, भूख बढ़ा सकती हैं, जिससे भोजन की पसंद बदल सकती है.कुछ मामलों में, मरीज पहले से ही डोनर के व्यक्तित्व को लेकर चिंतित रहते हैं, जो उनके व्यवहार में बदलाव ला सकता है.बड़े ऑपरेशन के बाद जीवन की नई दृष्टि भी इन बदलावों का कारण हो सकती है.