भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में सरकारी तत्वों के शामिल नहीं होने के पाकिस्तान के दावे को खारिज करते हुए गृह मंत्री पी चिदंबरम ने शुक्रवार को कहा कि लश्कर-ए-तय्यबा और उस देश के अन्य आतंकवादी संगठनों को आईएसआई से समर्थन मिल रहा है और उन्होंने इस देश में अपने मोड्यूल और स्लीपर सेल स्थापित कर लिए हैं.
उन्होंने ‘इंडिया टुडे कान्क्लेव' में कहा, ‘अगर आतंकवाद को प्रायोजित करने की राज्य की नीति है, अगर भारत में आतंकवाद का निर्यात करने की राज्य की नीति है तो हम कैसे राज्य से निपटेंगे.’ गृह मंत्री ने कहा, ‘यह रहस्य नहीं है कि पाकिस्तान स्थित प्रत्येक आतंकवादी संगठन को आईएसआई का समर्थन मिल रहा है.
लश्कर, हिज्बुल मुजाहिदीन, जमात उद दावा, अल बद्र उनमें से प्रत्येक को आईएसआई का समर्थन मिल रहा है.’ साथ ही उन्होंने साफ कर दिया कि युद्ध कोई विकल्प नहीं है. उन्होंने कहा, ‘तब हमें निश्चित तौर पर बातचीत करनी चाहिए.’ उन्होंने कहा कि पिछले महीने दोनों देशों के विदेश सचिवों के बीच हुई बातचीत से कुछ भी हासिल नहीं हुआ.
चिदंबरम ने कहा, ‘लेकिन मुझसे कहा गया कि विदेश सचिव स्तर पर अन्य दौर की बातचीत का विकल्प अब भी खुला हैं.’ अपने उद्घाटन भाषण में चिदंबरम ने पाकिस्तान का उल्लेख नहीं किया. उन्होंने पाक प्रायोजित आतंकवाद पर भारत की चिंताओं का इजहार प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान किया. उनका पाकिस्तानी उच्चायुक्त शाहिद मलिक के साथ वाक्युद्ध भी हुआ. {mospagebreak}
मलिक ने मंत्री के उन आरोपों का प्रत्युत्तर देने की कोशिश की कि भारत में आतंकवादी घटनाओं में पाकिस्तान के सरकारी तत्व शामिल नहीं है. लेकिन चिदंबरम ने उन दावों को यह कहते हुए तत्काल खारिज कर दिया कि अगर पाकिस्तान को भारत ने जिन संदिग्धों की सूची सौंपी है, वह उनकी आवाज का नमूना दे देता है तो इसकी जांच की जा सकती है. उन्होंने कहा, ‘26 नवंबर के हमलावरों और पाकिस्तान में उनके आकाओं की आवाज के रिकार्ड का अमेरिकी प्रयोगशाला में मिलान किया जा सकता है. तब हमें पता लग जाएगा कि व्यक्ति सरकारी तत्व है या नहीं.’ गृह मंत्री ने कहा कि अवरोध दूर करने का यह एक तरीका है.
उन्होंने कहा, ‘सिर्फ दलील के लिए अगर हम स्वीकार भी कर लेते हैं कि सरकारी तत्वों का हाथ नहीं है तो क्या पाकिस्तान का यह दायित्व नहीं है कि वह उन गैर सरकारी तत्वों पर नियंत्रण या उनका सफाया करे, जो उसकी धरती से आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं.’ पाकिस्तान को 1947 से ही कठिन पड़ोसी करार देते हुए उन्होंने कहा, ‘कश्मीर के इर्द-गिर्द पाकिस्तान के साथ हमारी गंभीर समस्या है. हम इसको मानते हैं.’
यह पूछे जाने पर कि अगर 26 नवंबर की तरह का हमला फिर से हुआ तो भारत का क्या जवाब होगा तो चिदंबरम ने कहा कि अगर ठोस रूप में इसे स्थापित किया जा सका कि यह पाकिस्तानी धरती से हुआ है तो ‘हम तेजी से निर्णायक कार्रवाई करेंगे.’ यह पूछे जाने पर कि क्या यह सैन्य विकल्प होगा, चिदंबरम ने कहा, ‘जब हम तेजी से निर्णायक कार्रवाई करेंगे, तब आप उस पर टिप्पणी कर सकते हैं.’
कुवैती राजदूत सामी अल सुलेमान के सवाल के जवाब में चिदंबरम ने कहा कि 26 नवंबर के हमले का मुख्य सरगना और लश्कर तथा जेयूडी का संस्थापक हाफिज सईद बार-बार अपने आतंकवादी कृत्यों को उचित ठहराने के लिए ‘जिहाद’ की बात कर रहा है. {mospagebreak}
गौरतलब है कि कुवैती राजदूत ने ‘जिहादी आतंकवाद’ शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई थी. चिदंबरम ने कहा, ‘मैं देखता हूं कि हाफिज सईद अपने हर भाषण में इस शब्द का इस्तेमाल करता है. उसने पिछले महीने तीन भाषण दिए. प्रत्येक भाषण में उसने जिहाद शब्द का इस्तेमाल किया. उसके खिलाफ सबूत के बावजूद वह खुला घूम रहा है.’ उन्होंने कहा, ‘मैं देखता हूं कि अल कायदा नेता जिहाद शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं. मैंने लश्कर नेताओं को जिहाद शब्द का इस्तेमाल करते पाया. हमारे पास मुंबई हमले में शामिल हमलावरों और उनके आकाओं की बातचीत का रिकार्ड है जिसमें वे जिहाद शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसलिए गलत कारणों से और दुर्भाग्य से जब आतंकवादी जिहाद शब्द का इस्तेमाल करते हैं तो जो लोग आतंकवाद का विरोध करते हैं, उन्हें जिहाद शब्द का इस्तेमाल करने पर मजबूर होना पड़ता है.’
मलिक ने कहा कि पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल इस उम्मीद से भारत आया था कि कुछ सकारात्मक निकलेगा. उन्होंने कहा, ‘हम यहां खुले मन से आए थे. और हमसे कहा गया है कि आतंकवाद बैठक के एजेंडे की मुख्य बातों में से एक है. हमने इसका तत्काल स्वागत किया.’ उन्होंने कहा, ‘और उसका कारण था कि हमें बलूचिस्तान में आतंकवाद, अफगानिस्तान में भारतीय वाणिज्यिक दूतावास आदि में गतिविधियों के संदर्भ में भारत के समक्ष अपने मुद्दों को उठाना था. इसलिए उस पर हमारी अच्छी चर्चा हुई. इसलिए मेरा मानना है कि सिर्फ बातचीत उत्तर है.’