नेशनल कांफ्रेंस के नेता एवं जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने परमाणु युद्ध के खतरे के माध्यम से कश्मीर मसले का समाधान होने संबंधी धारणा को खारिज करते हुए कहा कि कश्मीर कभी पाकिस्तान का हिस्सा नहीं होगा और ‘आगे बढने’ के लिए वार्ता सबसे अच्छा तरीका है.
अब्दुल्ला ने स्वीकार किया कि जहां तक भारत और पाकिस्तान की बात है तो कश्मीर एक अहम एजेंडा रहा है. उन्होंने कहा, ‘आपसी समझ के कुछ बिंदुओं तक पहुंचने के लिए दोनों देशों के बीच वार्ता महत्वपूर्ण है.’ उन्होंने रॉ के पूर्व प्रमुख ए एस दुलत के साथ ‘ए कन्वर्सेशन ऑन जम्मू एंड कश्मीर’ विषय पर आधारित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए यह बात कही. दुलत ने ‘कश्मीर: द वाजपेयी ईयर्स’ शीषर्क से एक किताब भी लिखी है. इस कार्यक्रम की मेजबानी पत्रकार आशीष रे ने की.
अब्दुल्ला ने कहा, ‘युद्ध के खतरों या परमाणु बम के इस्तेमाल से और यह कह कर कि हमारे पास परमारणु हथियार हैं, समस्या का समाधान नहीं हो सकता. हमें समझ के कुछ बिंदुओं तक पहुंचने के तरीके एवं साधन खोजने होंगे, फिर भले की वह ट्रैक 2 या 3 के माध्यम से हो.’ उन्होंने कहा, ‘एक बात पूरी तरह से स्पष्ट है कि सीमाएं नहीं बदलेंगी, देश चाहे जितना भी चाह लें, सीमाएं नहीं बदलेंगी.’