मजबूत लोकपाल को लेकर अन्ना हजारे मुंबई स्थित एमएमआरडीए के मैदान में तीन दिवसीय अनशन पर बैठ गए हैं. दूसरी ओर संसद में लोकपाल बिल पर बहस चल रही है.
बिल पर अपना पक्ष रखते हुए लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा, ‘लोकपाल विधेयक संघीय ढांचे के बारे में संविधान की बुनियादी विशिष्टता के खिलाफ है.’ उन्होंने कहा, ‘नौ सदस्यी लोकपाल में कम से कम पचास प्रतिशत आरक्षण और धर्म आधारित आरक्षण के प्रस्ताव संविधान सम्मत नहीं हैं.’ सुषमा ने मांग करते हुए कहा, ‘सरकार हमारे संशोधनों को स्वीकार करे या इसे वापस संसद की स्थायी समिति को भेज कर सशक्त विधेयक लाए. दो तीन महीने और विलंब से कोई आफत नहीं आ जाएगी.’
उधर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे आज जब जुहू समुद्र तट से बांद्रा-कुर्ला परिसर स्थित एमएमआरडीए मैदान में अपना तीन दिवसीय अनशन शुरू करने के लिए निकले तो उनके साथ हजारों की भीड़ थी. अन्ना प्रभावी लोकपाल की मांग को लेकर अनशन कर रहे हैं. अन्ना जुहू में स्थापित महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष प्रार्थना के लिए पहुंचे और वहां लगभग आधे घंटे तक मौन होकर ध्यान किया. इसके बाद समर्थकों का अभिवादन स्वीकार करते हुए एक रैली के साथ एमएमआरडीए मैदान रवाना हुए.
अन्ना अपने सहयोगियों किरण बेदी और अरविंद केजरीवाल के साथ एक राजनीतिक रथ की तरह सुसज्जित खुले ट्रक में अनशन स्थल के लिए रवाना हुए. इस दौरान लोग उनके समर्थन में नारे लगा रहे थे.
ट्रक के आगे मोटरसाइकिल सवारों का एक समूह चल रहा था जबकि उनके पीछे हजारों समर्थक सुबह की सर्दी में पैदल चल रहे थे. उन्हें एमएमआरडीए तक की 15 किलोमीटर की यात्रा तय करनी थी. रैली जुहू, सांताक्रूज, खार व अन्य इलाकों से होती हुई निकली.
इससे पहले सुबह अन्ना को काले झंडे दिखाए गए थे. उनके बांद्रा स्थित सरकारी गेस्टहाउस से जुहू के लिए निकलने के दौरान उन्हें काले झंडे दिखाए गए.
सरकार के लोकपाल का विरोध कर रहे अन्ना पक्ष ने कहा है कि इस मुद्दे पर सरकार के साथ बातचीत का विकल्प खुला है. अन्ना पक्ष के सदस्य गोपाल राय ने कहा कि हमने सरकार के साथ बातचीत का रास्ता बंद नहीं किया है. बातचीत का रास्ता हमारी ओर से खुला है लेकिन लगता है कि सरकार अड़ियल बनी हुई है.
उन्होंने कहा कि सरकार सख्त कानून नहीं लाना चाहती है. हमारी ओर से जो चार मांग की गयी हैं, उन्हें सरकार को मानना चाहिए. अगर सरकार हमारी मांग नहीं मानती है तो सड़क पर हमारा संघर्ष जारी रहेगा.
उन्होंने कहा कि सरकार को जनभावनाओं का सम्मान करना होगा. देश की जनता सशक्त लोकपाल चाहती है. अन्ना की मांग देश की जनता की मांग है.
प्रशांत भूषण ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार की नीतियां जनहित के लिए नहीं बल्कि निजी क्षेत्र को फायदा पहुंचाने वाली है. ये नीतियां भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली है. उन्होंने टू जी घोटाले का जिक्र करते हुए कहा कि देश के संसाधन को लूटा जा रहा है. इसमें मंत्री तक शामिल हैं. घोटाले करने वालों को सरकार की नीतियों से संरक्षण मिल रहा है. भ्रष्टाचार रोकने के लिए सख्त कानून की जरूरत है.
प्रशांत ने कहा कि संसद में बैठे लोग हमसे पूछ रहे कि हम किस अधिकार से बात कर रहे हैं, क्या इस देश की जनता को सवाल पूछने के लिए अधिकार नहीं है. ये लोग चाहते हैं कि एक बार चुन लिए जाने के बाद नेता मनमानी करते रहें और जनता खामोश रहे. क्या यही लोकतंत्र है. उन्होंने कहा कि संसद की भावना के मुताबिक एक प्रस्ताव पारित किया गया. प्रधानमंत्री ने अन्ना की मांगों को मानते हुए एक पत्र लिखा. इसके बावजूद सत्र में सरकार जानबूझकर कमजोर लोकपाल ला रही है. लाखों लोगों को सड़क पर उतरने के बाद सरकार अपनी मर्जी का विधेयक लायी है.
उन्होंने कहा कि सीबीआई का लगातार दुरुपयोग किया जा रहा है. सीबीआई को लोकपाल के तहत लाना चाहिए. लोकपाल को स्वतंत्र रखने की मांग हमारी ओर से की गयी है. सरकार के विधेयक के मुताबिक लोकपाल स्वतंत्र नहीं होगा. लोकपाल के चयन में सरकार का दखल नहीं होना चाहिए. लोकपाल को जांच का अधिकार होना चाहिए. लोकपाल को जांच का अधिकार नहीं दिया गया है ऐसे में लोकपाल कैसे कारगर होगा.
प्रशांत ने कहा कि सरकार लोकपाल को अपने चंगुल में रखना चाहती है. हमें चार संशोधनों की जरूरत है. हमारी ओर से की गयी चार मांगें मानी जानी चाहिए क्योंकि देश की जनता यही चाहती है.
उन्होंने कहा कि व्यवस्था परिवर्तन के लिए लड़ाई लड़नी है. इस आंदोलन से लोगों को पहली बार अपनी ताकत का एहसास हुआ है. आगे इससे भी बड़ा आंदोलन खड़ा होगा.