संसद में चल रहे शीतकालानी सत्र की कार्यवाही के दौरान जो हुआ, उससे न केवल सांसद, बल्कि पूरा देश स्तब्ध है. बीच सत्र में दो लोगों ने विजिट गैलरी से छलांग लगाई और वो सांसदों की सीट तक जा पहुंचे. इस दौरान एक युवक ने अपने जूते से स्प्रे निकाला और नारेबाजी करते हुए स्प्रे छिड़कने लगा, जिससे सदन में धुआं फैलने लगा.
मामला क्योंकि संसद भवन की सुरक्षा से जुड़ा था इसलिए फ़ौरन ही सुरक्षाकर्मी भी हरकत में आए और इन दोनों युवकों को गिरफ्तार कर लिया गया है. पूरे घटनाक्रम से पूरे सदन में अफरा तफरी मच गई जिसके बाद लोकसभा की कार्यवाही स्थगित कर दिया गया है.
ध्यान रहे ये घटना इसलिए भी गंभीर है क्योंकि आज संसद पर हमले की बरसी भी है. आज ही के दिन 2001 को संसद के अंदर हमला हुआ था. मामले पर अपना पक्ष रखते हुए लोकसभा सांसद दानिश अली ने बताया कि सदन में कूदने वाले युवक एक सांसद के नाम पर लोकसभा विजिटर पास पर आए थे.
सुरक्षाकर्मी युवकों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रहे हैं. माना जा रहा है कि जल्द ही इस बात का पता चल जाएगा कि आखिर इस हमले का मकसद क्या था. बताते चलें कि ये कोई पहली बार नहीं है जब संसद में सुरक्षा चूक हुई है.
पूर्व में भी हो चुकी है संसद की सुरक्षा में चूक
13 दिसंबर 2001
भारतीय संसद पर 22 साल पहले 13 दिसंबर 2001 को पाकिस्तान पोषित आतंकवादियों ने हमला किया था.इस हमले में 9 लोग मारे गए थे. तब संसद के सुरक्षा घेरे को भेदकर आतंकवादियों ने संसद के अंदर प्रवेश किया था. लेकिन मौके पर तैनात सुरक्षाकर्मियों ने अपनी जान की बाजी लगाकर उन्हें संसद भवन के भीतर प्रवेश करने से रोका था.
On this day, 22 years ago, the nefarious plan of terrorists to eliminate the top line of political leadership of the country and damage our Temple of Democracy was foiled by the brave security personnel, including the nine who laid down their lives for the motherland. The nation…
— President of India (@rashtrapatibhvn) December 13, 2023
संसद में तब शीतकालीन सत्र चल रहा था और महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा चल रही थी. विधेयक को लेकर काफी हंगामा हो चुका था इसलिए सदन को स्थगित किया गया था.
Today, we remember and pay heartfelt tributes to the brave security personnel martyred in the Parliament attack in 2001. Their courage and sacrifice in the face of danger will forever be etched in our nation's memory. pic.twitter.com/RjoTdJVuaN
— Narendra Modi (@narendramodi) December 13, 2023
इस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और नेता प्रतिपक्ष सोनिया गांधी सदन से बाहर जा चुके थे, जबकि तमाम सांसद सदन में ही मौजूद थे. सुबह करीब 11.30 पर आतंकवादियों और भारतीय सुरक्षाकर्मियों के बीच मुठभेड़ शुरू हुई जो दोपहर 4 बजे तक चली इस दौरान सभी 5 हमलवार मारे गए थे.
सात नवंबर 1966
सात नवंबर 1966 को गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने का कानून मांगने के लिए संसद के बाहर जुटी साधु-संतों की भीड़ पर गोलियां चलाई गई थीं. इस गोलीकांड में कितने साधू मरे? इसे लेकर आज भी लोगों के अपने पक्ष हैं. ध्यान रहे कि इस घटना को भारतीय इतिहास की एक ऐसी बड़ी घटना के रूप में देखा जाता है जिसने तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार को मुसीबत में डाल दिया था.
बताते चलें कि पचास के दशक के प्रसिद्ध संत स्वामी करपात्री जी महाराज लगातार गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक कानून बनाने की मांग कर रहे थे. मगर केंद्र सरकार ने साधुओं की मांगों पर कान नहीं दिए.
केंद्र सरकार के इस रुख से संतों का आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा था.ऐसे में स्वामी करपात्री जी महाराज के आह्वान पर सात नवंबर 1966 को देशभर के लाखों साधु-संत अपने साथ गायों-बछड़ों को लेकर संसद के बाहर आ डटे थे.
गुस्साए संतों को रोकने के लिए संसद के बाहर बैरीकेडिंग की गई. बताया ये भी जाता है कि इंदिरा गांधी सरकार को महसूस हुआ कि संतों की भीड़ बैरीकेडिंग तोड़कर संसद पर हमला कर सकती है. उन्होंने गोली चलाने के आदेश दे दिए जिसमें कई साधु संत मारे गए. तत्कालीन गृहमंत्री गुलजारी लाल नंदा ने इस घटना के बाद अपना इस्तीफ़ा दिया था.
नवंबर 2016
नवंबर 2016 में भी ऐसा ही मिलता जुलता मामला सामने आया था. तब 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के कदम के खिलाफ एक युवक लोकसभा की दर्शक दीर्घा से कूदकर सदन में आने की कोशिश करते हुए पकड़ा गया था
युवक का नाम राकेश सिंह बघेल था जो मध्य प्रदेश के शिवपुरी का रहने वाला था और जिसने बुलंदशहर के भाजपा सांसद भोला सिंह के रिफ्रेंस पर संसद में प्रवेश किया था. तब भी इसे एक बड़ी घटना माना गया था और तत्कालीन लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने इस मामले पर सदन की राय मांगी थी.