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'Jesus से मिलना है तो व्रत रखो', पादरी की वजह से भूख से तड़पकर मरे लोग, अब तक 60 शव मिले

अंधविश्वास की वजह से भूख से तड़पकर कम से कम 60 लोगों की मौत हो गई है. साथ ही शवों के मिलने का सिलसिला थम नहीं रहा. इस मामले में पुलिस ने पादरी को गिरफ्तार किया है.

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लोगों को भूखा मारने के जुर्म में पादरी गिरफ्तार (प्रतीकात्मक तस्वीर- Pexels)
लोगों को भूखा मारने के जुर्म में पादरी गिरफ्तार (प्रतीकात्मक तस्वीर- Pexels)

भगवान से मिलने की चाहत में कुछ लोग एक पादरी के पास गए और फिर कभी वापस नहीं लौटे. अभी तक करीब 60 शव बरामद किए जा चुके हैं. सभी की मौत भूख की वजह से हुई. इस पादरी ने लोगों से कहा था कि अगर वह 'जीसस' से मिलना चाहते हैं, तो मरते दम तक भूखे रहें.

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आरोपी का नाम पॉल मकेंजी है. मामला अफ्रीकी देश केन्या का है. यहां अंधविश्वास के जाल में फंसने वाले छह दर्जन लोगों के शव मिले हैं और इनके मिलने का सिलसिला थम नहीं रहा.

डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, मकेंजी के खेतों में पुलिस को कई कब्र मिली हैं, जिनमें लोगों को ठीक से दफनाया नहीं गया था. खुदाई का काम अब भी चल रहा है. पादरी को 14 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था.

गुप्त सूचना मिलने पर पुलिस आरोपी के खेतों में बने गुड न्यूज इंटरनेशनल चर्च में पहुंची. यहां भूख से तड़पते 15 लोग मिले, जिनमें से चार की मौत हो गई. ये सभी मकेंजी के अनुयायी थे. रिपोर्ट्स में बताया गया कि पादरी ने अनुयायियों को 'जीसस से मिलने' के लिए भूखा रहने को कहा था. 

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अभी तक करीब 60 लोगों के शव मिले (तस्वीर- ट्विटर)

अब भी जारी है खुदाई

जांच करने पर खेतों में कई कब्र मिलीं. अब यहां से लगातार शव मिल रहे हैं. खुदाई का काम जारी है. इस गिरफ्तारी से पहले पहले भी वो दो बार रिहा हो चुका है. एक बार 2019 में और दूसरी बार इसी साल मार्च में. ये मामले बच्चों की मौत से जुड़े हैं. हर बार उसे बॉन्ड पर जमानत मिल जाती है.

इन दोनों ही मामलों में अभी अदालत सुनवाई कर रही है. गिरफ्तारी के बाद भी पादरी मकेंजी की अकड़ नहीं गई थी. उसने पुलिस कस्टडी में रहने के दौरान चार दिन तक भूख हड़ताल की. लेकिन उसे बाद में रिहा कर दिया गया था. 

जहां एक तरफ स्थानीय नेता अदालत से गुहार लगा रहे हैं कि इस बार उसे रिहा नहीं किया जाए. दूसरी तरफ विपक्षी नेता इसका विरोध कर रहे हैं.

इनका कहना है कि यह चर्च के मामलों में देश के दखल नहीं करने की संवैधानिक गारंटी को कमजोर करने की कोशिश है. वहीं गृह मंत्री किथुरे किंदिकी ने इस मामले को 'आस्था की स्वतंत्रता के संवैधानिक मानव अधिकार का स्पष्ट रूप से दुरुपयोग' बताया है.

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