शाहरुख ने पाकिस्तानी खिलाडि़यों को लेकर दो शब्द क्या कहें कि राजनीतिक गलियारों में भूचाल आ गया. शिव सेना शाहरुख खान की फिल्म 'माई नेम इज खान' के खिलाफ सड़कों पर उतर गई. सरकारी तंत्र उदास बनी रही है शिवसैनिक उत्पात मचाते रहे.
इस बीच इस मुद्दे पर देश विदेश से हजारों की तादाद में लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की. देश की राजनीति किस कदर बदल रही है और राजनेता की सोच आम जनता को किस कदर प्रभावित करता है इस पर हम कुछ चुनिंदा प्रतिक्रिया को अलग से प्रकाशित कर रहे हैं.
- राज ठाकरे साहब से पूछे कोई कि वो महाराष्ट्र का विकास चाहते हैं कि नहीं? क्या उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा राज्य की जनता की परेशानियों का नजरअंदाज कर पूरा करने की है? यह न भूले कि महाराष्ट्र की जनता ने ही उन्हें 12 विधायक दिए हैं बाला साहब ने नहीं? मराठी मानुस को समझाएं और जाकर बाल ठाकरे से भी कहें कि वो जो कर रहे हैं वह किसी भी हाल में न राज्य के हित में हैं और ना ही मराठी के हित में.
सर्वेश्वर दयाल, मुंबई.
-जब वो दक्षिण भारतीयों को मारते थे, तो उत्तर भारतीय तालियाँ पीटते थे। जब वो मुसलमानों को मारते थे, तो हिंदू तालियाँ पीटते थे। अब वो उत्तर भारतीयों को मारते हैं, और मराठी भाई-बंधु तालियाँ पीट रहे हैं। पता नहीं, अगला नंबर किसका है, और कौन तालियाँ पीट रहा होगा?
पंकज प्रसून, मुंबई.
-ठाकरे और उसके शिव सैनिक कैसे हैं बहुत बार साबित हो चुका है.पैसा चाहिए इनको चुप होने के लिए.
डॉ. भानु पांडेय, थाणे
-शाहरुख सही मायनों में किंग खान हैं. उन्होंने सच बोलने का साहस किया है. कोई भी देशभक्त व्यक्ति उनकी बातों का सम्मान करेगा. अगर राज्य सरकार में हिम्मत नहीं है कि मुंबई को लेकर हो रहे तू तू मैं मैं को रोके तो उसे मुंबई की शासन व्यवस्था को केंद्र के हवाले कर देना चाहिए. अभिजीत जैसे गायक और और शाहरुख जैसे नायक में यही अंतर है. अभिजीत की सोच वैश्विक नहीं हो पाई है और शाहरुख लोकल से ग्लोबल हो गए हैं. सोच बदलिए जमाना स्वीकारेगा. आप में काबिलियत है तो सभी स्वीकारेंगे. जो हो रहा है उससे मराठी का कभी भला नहीं होने वाला. 'बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होए', यूं ही नहीं कहा गया है.
समरेंद्र चौरसिया, बेतिया, बिहार
-शिवसेना जो कुछ कर रही है वो सही है. पाक भारत पर 26/11 जैसा हमला कर सकता है. सबूत भारत के पास कसाब पड़ा है. भारतीय भावनात्मक देश है. शाहरुख जैसे अभिनेता को उनकी तरफ़दारी नही करनी चाहिए.
सुधाकर चिते, पुणे
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