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कब्र से 4 साल बाद निकला नन का शव, कौन सा चमत्कार देखने उमड़ रहे लोग?

मई 2019 में नन की 95 साल की उम्र में मौत हो गई थी. उनके शव को एक परंपरा के निर्वहन के लिए बाहर निकाला गया था. आमतौर पर ये प्रथा चर्च के संस्थापकों के लिए होती है. इस बीच लोगों को एक चमत्कार दिखा.

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नन का शव देखने के लिए लगी लोगों की लाइन (प्रतीकात्मक तस्वीर- Pexels)
नन का शव देखने के लिए लगी लोगों की लाइन (प्रतीकात्मक तस्वीर- Pexels)

अमेरिका के मिसौरी से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां दफनाए जाने के 4 साल बाद एक कौथोलिक नन के शव को बाहर निकाला गया है. अब शव को देखने के लिए भारी तादाद में लोग पहुंच रहे हैं. नन के शव को 18 मई को कब्र से निकाला गया था. लोग इसलिए इतना हैरान हैं क्योंकि शव जस का जस है. इसे लोग चमत्कार मान रहे हैं. बेनेडिक्टिन चर्च में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ रहा है. 

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शव को एक परंपरा के निर्वहन के लिए बाहर निकाला गया था. इस परंपरा के तहत शव को इसलिए बाहर निकाला गया, ताकि इसे चैपल मठ में अंतिम विश्राम स्थल पर ले जाया जा सके. आमतौर पर ये प्रथा चर्च के संस्थापकों के लिए होती है. डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, मई 2019 में नन की 95 साल की उम्र में मौत हो गई थी. जिसके बाद उनसे शव को दफना दिया गया. इसे दफनाते वक्त इस पर मोल्ड का लेप लगाया गया था क्योंकि ताबूत में दरारें थीं. अब जब करीब 4 साल बाद शव को बाहर निकाला गया, तो नजारा देख हर कोई दंग रह गया.   

शव पर सड़न के निशान नहीं

कब्र से बाहर निकाले गए इस शव में कोई बदलाव नहीं हुआ था. शव में सड़न के निशान नहीं थे, इसका केवल थोड़ा हिस्सा ही खराब हुआ था. इस मामले में इटरनल वर्ड टेलीविजन नेटवर्क ने बेनेडिक्टिन सिस्टर्स के कॉन्वेंट की प्रमुख मदर सेसिलिया के हवाले से कहा गया है कि वह शव को इस तरह देखकर पूरी तरह हैरान हैं. उनका मानना है कि यह (मृतक नन) पहली ऐसी अफ्रीकी महिला हैं, जिनका शव पूरी तरह सही पाया गया है. 

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सिसिलिया का कहना है कि उन्हें ऐसा लगता था कि उन्हें हड्डियां मिलेंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. बल्कि नन का पूरा का पूरा शरीर ही सही सलामत मिला. उनका मानना है कि ऐसा कर ईश्वर विश्वास को जगाने की कोशिश कर रहे हैं और इसके पीछे उसका (ईश्वर) कोई संदेश छिपा हुआ है. 
 
कोई चमत्कार नहीं- विशेषज्ञ

 
डेलीमेल की रिपोर्ट के अनुसार, जब इस मामले में एक हजार शवों की स्टडी करने वाली फॉरेसिंक एंथ्रोपोलॉजिस्ट डॉक्टर रबेजा जियॉर्ज से बात की गई तो उन्होंने बताया कि नन का शव सालों बाद सही सलामत मिलना एक आम बात है. ऐसा ताबूत में नमी और ऑक्सीजन की कमी से संभव है, ताबूत में चिकनी मिट्टी के साथ नमी और ऑक्सीजन की कमी के कारण ऐसा होता है. इसमें तापमान कम हो जाता है, जिससे शव सड़ता नहीं है.  

वेस्टर्न कैरोलिना यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर ने बताया, 'आमतौर पर जब एक शव को कपड़े पहनाकर ताबूत में डाला जाता है, जैसे नन को हम तस्वीरों में देख सकते हैं, तो उसी से भारी मात्रा में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. ऊपर से नन को चिकनी मिट्टी में दफन किया गया था, जिससे तापमान कम हुआ है. ये शरीर की सड़न को रोकता नहीं है, बल्कि उसे धीमा कर देता है. ये वही है, जो हम अभी देख रहे हैं. ये लकड़ी का ताबूत शरीर से नमी खींच लेता है. जब कोई मरता है तो पेट और त्वचा पर मौजूद बैक्टीरिया और फंगस टिशूज को तोड़ना शुरू कर देते हैं. लेकिन इस प्रक्रिया में नमी, ऑक्सीजन की कमी और कम तापमान के चलते ये प्रक्रिया धीमी हो जाती है.'

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