नाखुश हैं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह . नाखुश इसलिए कुछ मंत्री उनसे बगैर पूछे फैसले ले रहे हैं. ताजा मामला है रक्षा मंत्री एके एंटनी का, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने बगैर पीएम से पूछे हेलीकॉप्टर डील रद्द करने पर कार्रवाई शुरू कर दी.
पीएम की कुर्सी पर यूं तो मनमोहन सिंह हैं लेकिन ये साफ है कि सील मोहर किसी और पते से लग रही है. और इस साफगोई ने प्रधानमंत्री को नाख़ुश कर दिया है. प्रधानमंत्री की सबसे हालिया नाख़ुशी है सरकार के नंबर दो और रक्षा मंत्री ए के एंटनी से. हेलीकॉप्टर पर हुए हंगामे में कब क्या कैसे हो गया प्रधानमंत्री को पता ही नहीं चला सिवाए इसके कि सीबीआई की जांच हो रही है.
सूत्र बताते हैं कि प्रधानमंत्री को तब बहुत ज़्यादा खल गया जब उन्होंने इटली के हेलीकॉप्टर की डील ही रद्द कर दी और उन्हें पता मीडिया से चला. तकलीफ ये कि प्रधानमंत्री कुछ नहीं बोल सके. कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति की ख़बर रखने वाले बताते हैं कि एंटनी सिर्प दस जनपथ से आदेश लेते हैं.
शिंदे से नाखुश पीएम?
प्रधानमंत्री इन दिनों गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे से भी नाख़ुश हैं. संसद पर हमले के कसूरवार अफज़ल गुरु की फांसी और स्पीड पोस्ट के मामले के ख़बर उनतक साधारण डाक से पहुंची. सूत्रों के मुताबिक मनमोहन सिंह को पता ही नहीं था कि अफज़ल गुरु के घरवालों को ख़बर दी गई या नहीं, दी गई है तो कैसे और उन्हें ख़बर मिली भी है या नहीं.
पीएम को पता तब चला जब उसके परिवार वालों ने हायतौबा मचा दी, उमर अब्दुल्ला सक्रिय हो गए और देश के अल्पसंख्यक संगठनों ने कांग्रेस को कोसना शुरू कर दिया. प्रधानमंत्री अपने ही कैबिनेट के काटे हुए हैं. और इतना कटा हुआ महसूस करते हैं कि बोलना फिज़ूल लगता है.
सलमान खुर्शीद से नाखुश पीएम?
मनमोहन सिंह की नाख़ुशी की तीसरी वजह हैं विदेश मंत्री सलमान ख़ुर्शीद. सलमान ख़ुर्शीद की कानून से विदेश मंत्री में तरक्की चाहे जिसकी ख़ुशी का नतीजा हो लेकिन प्रधानमंत्री तो ख़ुद को उनसे सताया हुआ महसूस करते हैं. सैनिक के सिरकलम वाले मामले में सलमान बोल गए थे कि पाकिस्तान से बातचीत चलती रहेगी.
इतने नाज़ुक मामले पर मनमोहन सिंह जैसे नरम प्रधानमंत्री ने भी अपने मंत्री की नरमी पर माथा पीट लिया था. उन्होंने सलमान ख़ुर्शीद को क्या कहा था ये तो नहीं पता लेकिन ये पता है कि अगले दिन सलमान खुर्शीद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके पाकिस्तान को बहुत बुराभला कहा था.
प्रधानमंत्री को ये नाख़ुशी कुर्सी के साथ वरदान में मिली है. लेकिन इस वरदान का बोझ अब उनसे बर्दाश्त नहीं हो रहा. लेकिन उनकी मुसीबत ये है कि वो सिर्फ सह सकते हैं कह नहीं सकते. और ऐसा कबतक चलता रहेगा उन्हें नहीं मालूम.