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छत्‍तीसगढ़ में पांच साल में चार गुना बढ़ी गधों की तादाद

आप माने या ना माने पर यह सच है कि पिछले पांच साल में छत्तीसगढ़ में गधों की संख्या में साढ़े चार गुना वृद्धि हुई है. अधिकारिक जानकारी के मुताबिक इनकी संख्या 148 से बढ़कर 680 हो गई है

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आप माने या ना माने पर यह सच है कि पिछले पांच साल में छत्तीसगढ़ में गधों की संख्या में साढ़े चार गुना वृद्धि हुई है. अधिकारिक जानकारी के मुताबिक इनकी संख्या 148 से बढ़कर 680 हो गई है. खच्चरों की संख्या में भी 21 गुना इजाफा हुआ है. शौकीनों ने चार ऊंट और एक हाथी भी पाल रखे हैं. पशुओं की 19वीं संगणना (जनगणना) में यह खुलासा हुआ है. हैरत की बात यह है कि तांगों की विलुप्ति के बावजूद घोड़ा और घोड़ी भी 640 से बढ़कर 2,963 हो गए हैं. गधों की बढ़ी संख्या पर लोग चुटकी ले रहे हैं.

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सूबे के रायपुर जिले में एक पालतू हाथी है, जबकि दुर्ग जिले में 4 ऊंट पाले गए हैं. सामान लाने-ले जाने के लिए खच्चरों का उपयोग बढ़ गया है. इस वजह से उनकी संख्या 74 से 1,617 हो गई है. लगता है राज्य में सूअर पालने में लोगों की रुचि बढ़ी है इस वजह से ये 25 हजार 993 बढ़ गए हैं.

देशभर के पशुओं की संख्या के आधार पर देशवासियों के लिए दूध, अंडे, मटन व अन्य खाद्य पदार्थो की जरूरत पूरी करने की योजनाएं बनती हैं.

लोगों के लिए यह तथ्य सुखद हो सकता है कि प्रदेश में गायों में 3.39, घरेलू मुर्गियों में 7, पोल्ट्री मुर्गियों में 39 और बकरियों में 16.50 फीसदी बढ़ोतरी हुई है. छत्तीसगढ़ पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ. एस. के. पांडे ने बताया कि प्रदेश में 3,67,470 परिवारों में 84,780 परिवार पशुपालन में लगे हैं जिनसे मानवीय खाद्य पदार्थो की पूर्ति होती है. 210 नोडल अफसरों, 1355 सुपरवाइजरों के नेतृत्व में 8,781 कर्मचारियों ने राज्य भर के पशुओं की गिनती की. इससे पहले उन्हें ट्रेनिंग दी गई. गिनती का महाभियान 16 सितंबर से 15 अक्टूबर तक चला. इस साल जनवरी में केंद्र सरकार को अंतिम रिपोर्ट भेजी. इसे हाल ही में मंजूरी मिली.

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इस बार की सबसे खास बात यह है कि पिछली संगणना की तुलना में राज्य में विदेशी नस्ल की गायों में भारी बढ़ोतरी हो रही है. जबकि देसी गायों और भैंसों की तादाद में भारी गिरावट आई है. राज्य बनने के समय एक हजार में 195 भैंसें दूध देती थी जो अब घटकर 180 रह गई हैं. जबकि प्रति हजार दूध देने वाली बकरियां 498 से बढ़कर 587 हो गई हैं. पहले मुर्गियां सालभर में 192 अंडे देती थी जो अब 234 तक पहुंच गया है.

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