सोशल मीडिया भले ही आज विकासोन्मुखी तथा सार्थक विचारों के आदान-प्रदान के बड़े मंच के रूप में विकसित हो चुका है, लेकिन इस्लाम को मानने वाले दो प्रमुख धड़ों के धर्मगुरूओं ने मशहूर सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक और ट्विटर पर नौजवानों, खासकर महिलाओं द्वारा प्रोफाइल बनाने तथा तस्वीरें पोस्ट करने को गैर इस्लामी करार दिया है.
लखनऊ स्थित इन शिया और सुन्नी समुदायों का प्रतिधित्व करने वाले इन दोनों धड़ों के धर्मगुरूओं की ओर से स्थापित हेल्पलाइन पर बड़ी संख्या में यह पूछने के लिए फोन आए हैं कि सोशल मीडिया में प्रोफाइल बनाना इस्लाम के मुताबिक सही है है या नहीं.
सुन्नी मुफ्ती अब्दुल रहमान नईमुल हलीम फिरंगी महली ने बताया, ‘आप फेसबुक पर किसी की तस्वीर नहीं देख सकते हैं और यह फैसला भी नहीं कर कर सकते हैं कि आप दोस्ती करना चाहते हैं. प्यार और मोहब्बत के लिए वास्तविक जीवन में देखिए. इस तरह के आभासी संबंधों का कोई फायदा नहीं है.’
मुफ्ती चाहते हैं कि नौजवान वास्तविक दुनिया में रहें. उन्होंने जो हेल्पलाइन स्थापित की है, उस पर एक महीने में 1,000 से अधिक फोन कॉल आ चुके हैं. इनमें से 50 फीसदी से अधिक फोन कॉल में इंटरनेट के इस्तेमाल के बारे में सवाल पूछे गए.
मुफ्ती फिरंगी महली ने कहा, ‘अगर कोई फेसबुक पर कारोबारी मकसद अथवा रचनात्मक उद्देश्य को लेकर है तो इस पर अकांउट होना उचित है.’ उन्होंने कहा कि महिलाओं का फेसबुक पर मित्रता करना तथा तस्वीरें अपलोड करना उचित नहीं है.
मुफ्ती ने कहा, ‘महिलाओं को फेसबुक अथवा इंटरनेट के दूसरे माध्यमों पर तस्वीरें पोस्ट नहीं करनी चाहिए.’ शिया समुदाय से जुड़े मौलाना सैफ अब्बास नकवी ने कहा, ‘महिलाएं अपने मेहरम (पिता अथवा भाई) के अलावा किसी दूसरे को चेहरा नहीं दिखा सकतीं. ऐसे में फेसबुक पर तस्वीरें पोस्ट करना हराम है.’
नकवी ने कहा, ‘हम उदारवादी हैं. हम तालिबान की सोच वाले नहीं हैं. जब नौजवान हमसे पूछते हैं कि वे फेसबुक अथवा ट्विटर पर प्रोफाइल बना सकते हैं तो हम उन्हें इसकी इजाजत देते हैं. परंतु शरिया महिलाओं को तस्वीरें पोस्ट करने की इजाजत नहीं देता.’