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तीसरा नहीं Federal फ्रंट की हो रही है तैयारी!

मिडटर्म पोल की खबरों के बीच एक और चर्चा भी सियासी फिजा में तेजी से तैर रही है. चर्चा ये कि एक नया मोर्चा तैयार हो रहा है. बड़ी पार्टियों से किनारा करने को बेताब क्षेत्रीय छत्रप केंद्र में अपने लिए बड़ी भूमिका तलाश रहे हैं.  

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मिडटर्म पोल की खबरों के बीच एक और चर्चा भी सियासी फिजा में तेजी से तैर रही है. चर्चा ये कि एक नया मोर्चा तैयार हो रहा है. बड़ी पार्टियों से किनारा करने को बेताब क्षेत्रीय छत्रप केंद्र में अपने लिए बड़ी भूमिका तलाश रहे हैं.

अगर मुलायम, नीतीश, ममता नवीन पटनायक और जयललिता साथ आ गए तो बदल सकती है देश की सियासी सूरत. सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है. बड़ी पार्टियों से खार खाई पार्टियां केंद्र की राजनीति में एक नया विकल्प तैयार करने की कोशिश में हैं. इस मोर्चे को एक नया नाम भी मिला है- फेडरल फ्रंट.

केंद्र की नेशनल काउंटर टेररिज्म सेंटर यानि एनसीटीसी बनाने की कोशिश के खिलाफ गैर कांग्रेसी राज्यों के नेताओं की एक जुटता दिखी थी. अब 6 मार्च को पांच राज्यों के चुनाव के नतीजों से क्षेत्रिय पार्टियों में उम्मीद बंधी है.

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यूपी के सबसे युवा सीएम बनने वाले बाइट- अखिलेश यादव, नेता ने कहा कि अगर बहस छिड़ी है तो अच्छी शुरुआत है. जो नेता थर्ड फ्रंट के बनने और बिगड़ने का खेल पहले भी देख चुके हैं उन्हें अब किसी नए मोर्चे की गुंजाइश नजर नहीं आती. लालू प्रसाद यादव कहते हैं कि थर्ड फ्रंट की कोई बात नहीं, कई बार बना बिखरा ये सब होता रहता है.

जिन बड़ी पार्टियों पर इस फ्रंट का सबसे ज्यादा असर हो सकता है वो भी ऐसी संभावनाओं से फिलहाल इनकार कर रहे हैं.

लोक सभा चुनाव में अभी दो साल से ज्यादा का वक्त है. दो साल सियासात में बदलाव के लिए लंबा वक्त होता है. ऐसे में फेडरल फ्रंट के लिए अभी जो माहौल बन रहा है उसके लिए जरूरी है कि चुनाव जल्द हों. एसे में नए मोर्चे की पैरवी करने वालों की उम्मीद टिकी है यूपीए में उभरे मतभेदों के निर्णायक मोड़ लेने पर.

इस वक्त सरकार की हालत कुछ ऐसी है. यूपीए में 15 पार्टियां है. जिनमें 6 मुख्य पार्टियां है. सरकार को एसपी, बीएसपी और आरजेडी का बाहर से समर्थन है.

एनडीए का कुनबा छोटा है उसके पास इस वक्त कुल 6 पार्टियां हैं. फिलहाल पांच क्षेत्रीय पार्टियां ऐसी है जो किसी भी मोर्चे में शामिल नहीं है. उम्मीद की जा रही है फेडरल फ्रंट में ये पार्टियां शामिल हो सकती हैं.

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अब आपको ये बताते हैं कि कौन कौन सी पार्टियां यूपीए और एनडीए का साथ छोड़ फेडरल फ्रंट में शामिल हो सकती हैं. सबसे पहले बाहर से सरकार को समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी फेडरल फ्रंट में आ सकती है, इसके बाद बाहर से समर्थन देने वाली आरजेडी का नंबर आ सकता है.

यूपीए के भीतर शामिल पार्टियों में तृणमूल टूट सकती है, फिर नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी फिर ऱाष्ट्रीय लोकदल फिर जम्मू कश्मीर नेशलन कांफ्रेंस को इस मोर्चे में शामिल किया जा सकता है.
एनडीए से खट्टे मीठे रिश्ते रखने वाली जेडीयू भी टूट सकती है, अकाली दल को भी क्षेत्रीय पार्टी के नाम पर शामिल किया जा सकता है इनके अलावा झारखंड मुक्ति मोर्चा और हरियाणा जनहित कांग्रेस भी इस खेमे में आ सकती है.

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