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निजी परियोजना का नहीं किया जा सकेगा जमीन अधिग्रहण

शायद भट्टा पारसौल के बाद जमीन अधिग्रहण के खिलाफ राहुल गांधी की मुहिम रंग लाने लगी है. संसद की स्थाई समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सरकार को किसी भी निजी परियोजनाओं या कंपनी के लिए जमीन का अधिग्रहण नहीं करना चाहिये. रिपोर्ट में जनहित की परिभाषा को भी साफ किया गया है.

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शायद भट्टा पारसौल के बाद जमीन अधिग्रहण के खिलाफ राहुल गांधी की मुहिम रंग लाने लगी है. संसद की स्थाई समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सरकार को किसी भी निजी परियोजनाओं या कंपनी के लिए जमीन का अधिग्रहण नहीं करना चाहिये. रिपोर्ट में जनहित की परिभाषा को भी साफ किया गया है.

जनहित में जमीन केवल बुनियादी विकास, सिंचाई योजनाओं और बांध परियोजनाओं के लिए ही जमीन का अधिग्रहण करना चाहिए. इसके अलावा सामाजिक सरोकार जैसे स्कूल, अस्पताल, पेयजल तथा स्वच्छता जैसे सरकारी परियोजनाओं के लिए ही जमीन ली जानी चाहिए.

सभी अधिग्रहण पर्याप्त मुआवजे, पुनर्वास और अन्य सुविधाओं के विकास के बाद ही ली जाये यदि कोई परियोजना जमीन अधिग्रहण के पांच साल तक शुरू न हो तो जमीन वापस लौटा दी जाये.

तृणमूल कांग्रेस इस बात से खुश है की उसकी आपत्तियों पर ध्यान दिया गया है. भट्टा पारसौल में राहुल ने खुलकर जमीन अधिग्रहण के खिलाफ आवाज उठायी थी. उसके बाद से ही कडे और नये अधिग्रहण कानून की मांग उठने लगी थी. हालांकि सरकार ने पहले भी एक बार इस बिल को संसद में रखने की कोशिश की थी लेकिन ममता बनर्जी के विरोध के चलते इसे वापस लेना पड़ा था.

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समिति की रिपोर्ट पर तो सहयोगियों और विरोधियों का रुख नरम पड़ता दिख रहा है. लेकिन सरकार के लिये चुनौती इस बिल को संसद की मंजूरी दिलाना है.

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