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राष्ट्रमंडल खेलों के लिए नहीं आएंगी क्वीन एलिजाबेथ

क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय ‘काम के भारी बोझ’ के कारण 44 बरस में पहली बार राष्ट्रमंडल खेलों के समारोह में शिरकत नहीं करेंगी जिससे अक्तूबर में दिल्ली में होने वाले खेलों में ब्रिटेन के राजसी परिवार के प्रतिनिधित्व की जिम्मेदारी प्रिंस चार्ल्स पर होगी.

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क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय ‘काम के भारी बोझ’ के कारण 44 बरस में पहली बार राष्ट्रमंडल खेलों के समारोह में शिरकत नहीं करेंगी जिससे अक्तूबर में दिल्ली में होने वाले खेलों में ब्रिटेन के राजसी परिवार के प्रतिनिधित्व की जिम्मेदारी प्रिंस चार्ल्स पर होगी.

‘डेली मेल’ की खबर के मुताबिक, ‘भारत में प्रिंस चार्ल्स राजसी परिवार का प्रतिनिधित्व करेंगे और एथलीटों को रानी का समर्थन संदेश पढ़कर सुनाएंगे.’ बकिंघम पैलेस के प्रवक्ता ने कहा कि महारानी का कार्यक्रम काफी व्यस्त है जिसमें अक्तूबर में दिल्ली की यात्रा शामिल नहीं है.

प्रवक्ता ने कहा, ‘यह कहना सही होगा कि महारानी इस साल राष्ट्रमंडल खेलों में शिरकत नहीं करेंगी. काम के बोझा और विदेश यात्राओं के कारण वह खेलों के दौरान उपस्थित नहीं रह पाएंगी.’ उन्होंने कहा, ‘दिल्ली में ब्रिटिश उच्चायोग ने कहा है कि वह प्रफुल्लित है कि तीन अक्तूबर को उद्घाटन समारोह में प्रिंस चार्ल्स महारानी का प्रतिनिधित्व करेंगे.’

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इस बीच इस साल की प्रतियोगिता में इंग्लैंड टीम का राष्ट्रगीत बदल जायेगा क्योंकि एक राष्ट्रीय पोल में ‘येरूसलेम’ को सबसे लोकप्रिय पसंद माना गया है. एथलीटों के लिए पिछले 40 बरस से ‘लैंड आफ होप और ग्लोरी’ बजाया जाता है जिसने ‘गाड सेव द क्वीन’ की जगह ली थी.

लेकिन हाल में ‘यूगोव’ के सर्वे में विलियम ब्लैक की कविता से लिये गये ‘येरूसलेम’ को सर्वाधिक 53 प्रतिशत वोट मिले जबकि खिलाड़ियों ने भी इसका समर्थन किया.

हालांकि दक्षिण अफ्रीका में अगले महीने होने वाले फुटबाल विश्व कप के दौरान इंग्लैंड के प्रत्येक मैच से पहले ‘गाड सेव द क्वीन’ गीत ही बजाया जाएगा.

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