एसआईटी के प्रमुख आर.के. राघवन ने आज कहा कि गोधरा के बाद गुलबर्ग सोसायटी में भड़के दंगे के मामले में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछताछ इस मामले में रहस्यों से पर्दा उठाने और इन्हें समझने की दिशा में बड़ा कदम है और एसआईटी 30 अप्रैल या इससे पहले अपनी रिपोर्ट उच्चतम न्यायालय को सौंप देगी.
59 वर्षीय मोदी से पूछताछ के बारे में जानकारी देने से इंकार करते हुए राघवन ने कहा कि कल दो दौर में मुख्यमंत्री से पूछताछ करने वाले सीबीआई के पूर्व डीआईजी ए.के. मल्होत्रा अब राहत में दिखाई देते हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें अपने अधिकारियों की काबिलियत पर भरोसा है.
राघवन ने कहा कि वह इस बात से खुश हैं कि उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल ने मुख्यमंत्री को पूछताछ के लिए बुला लिया.
उन्होंने कहा, ‘‘मामले में कुछ रहस्यों से पर्दा उठाने और समझने की कोशिश में यह एक बहुत बड़ा कदम है. मैं खुश हूं कि हमने मुख्यमंत्री से पूछताछ की.’’ राघवन ने कहा कि गुलबर्ग सोसायटी के दंगों में 68 अन्य लोगों के साथ मारे गये पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की विधवा जाकिया जाफरी की याचिका एसआईटी की ‘बाइबिल’ है और सवाल व्यापक तौर पर इससे जुड़े थे.
एसआईटी प्रमुख ने कहा, ‘‘मुझे पीड़ितों की बहुत चिंता है और मैं न्याय से कभी भी अपनी नजर नहीं हटा सका.’’
राघवन ने कहा कि उन्होंने और मल्होत्रा ने मोदी के समक्ष रखे जाने वाले सवालों पर चर्चा की थी लेकिन उन्होंने अभी तक जवाबों पर बातचीत नहीं की है. उन्होंने कहा, ‘‘वह :मल्होत्रा: तरोताजा और राहत में दिखाई देते हैं. अभी मेरी उनसे :जवाबों पर: बातचीत नहीं हुई है.’’ जब राघवन से पूछा गया कि उन्होंने मोदी से पूछताछ क्यों नहीं की तो उन्होंने कहा कि वह गवाहों या आरोपियों से नहीं मिलते और यह जांच अधिकारी का काम है.
उन्होंने कहा, ‘‘यह एक अच्छी पुरानी परंपरा है जो सीबीआई अपनाती है. निदेशक कभी सवाल नहीं करता. मैंने इसे यहां भी अपनाया. यह एक निष्पक्ष और स्वस्थ परंपरा है.’’ जरूरत पड़ने पर एसआईटी द्वारा मोदी को पूछताछ के लिए फिर से बुलाने की संभावना पर उन्होंने कहा, ‘‘मुझे देखना है कि क्या साक्ष्य इकट्ठे किये गये हैं. मुझे देखना है कि उन्होंने मल्होत्रा को क्या बताया.’’ राघवन ने एक सवाल के जवाब में कहा कि वह पूछताछ के ब्योरे में नहीं जाएंगे. उन्होंने कहा, ‘‘मैं जांच अधिकारी के अधिकारों का सम्मान करता हूं. मैं यह नहीं कह सकता कि यह करो और यह नहीं करो.’’ गुलबर्ग दंगों से परे सवाल पूछने के मामले में उन्होंने जानकारी देने से इंकार किया.
जब उनसे पूछा गया कि क्या मोदी से 62 सवाल पूछे गये थे तो उन्होंने कहा कि यह ‘काल्पनिक आंकड़ा’ है. एसआईटी की कार्रवाई में देरी और पक्षपात के आरोपों पर राघवन ने कहा कि यह समझना चाहिए कि उन्होंने गुजरात के सभी अधिकारियों को इससे दूर रखा.
उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने :एसआईटी अधिकारियों ने: अच्छा काम किया है. अदालत अपना फैसला देगी.’’ एसआईटी रिपोर्ट उच्चतम न्यायालय के समक्ष जमा किये जाने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘हम इसे 30 अप्रैल को या इससे पहले जमा करेंगे.’’ क्या मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूछताछ में पूरा सहयोग दिया, इस सवाल के जवाब में राघवन ने कहा, ‘‘मल्होत्रा संतुष्ट दिखाई देते हैं. मुझे लगता है कि यह मुख्यमंत्री और मल्होत्रा के बीच संतोषजनक बातचीत हुई.’’ किसी तरह के राजनीतिक दबाव के प्रश्न पर राघवन का जवाब था, ‘‘क्या आपको मैं ऐसा व्यक्ति दिखाई देता हूं जो दबाव में है. मैं राहत में हूं. कोई दबाव नहीं रहा. मैं अपना काम कर रहा हूं.’’ जाकिया की याचिका पर मुख्यमंत्री के साथ पूछताछ के बाद किसी तरह की प्राथमिकी दर्ज किये जाने की संभावना पर उन्होंने टिप्पणी करने से इंकार कर दिया.