केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने देश में शौच और मैला ढ़ोने की समस्या के संदर्भ में भारतीय रेल को ‘बड़ा सिरदर्द’ करार देते हुए कहा है कि सरकार इस समस्या को लेकर संवेदनशील है और इसके निवारण के लिए कानून में जरूरी बदलाव किए जाएंगे.
रमेश ने दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में पत्रकार भाषा सिंह की पुस्तक ‘अदृश्य भारत’ के विमोचन के मौके पर यह बात कही. इस पुस्तक में मैला ढोने में लगे परिवारों की व्यथा एवं उनके संघर्ष को दर्शाया गया है.
केंद्र में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग का अतिरिक्त प्रभार भी संभाल रहे रमेश ने कहा, ‘शौच से जुड़ी समस्याओं की बात करें तो रेलवे भी बहुत बड़ा सिरदर्द है. हर रोज इसके जरिए डेढ़ करोड़ लोग सफर करते हैं. उनके शौच करने और इस मैला ढ़ोने की समस्या के बीच भी संबंध है.’
उन्होंने कहा, ‘आजादी के छह दशक बाद भी देश में मैला ढ़ोने की कुप्रथा मौजूद है. जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि देश के करीब साढ़े सात लाख लोग इसमें लगे हुए हैं. यह हम सबके लिए शर्म की बात है.’
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘इस समस्या के लिए कानून में जरूरी बदलाव किया जाएगा. परंतु मेरा मानना है कि सिर्फ कानून से इसे खत्म नहीं किया जा सकता. इसके लिए सामाजिक आंदोलन भी चलाना होगा. लोगों को भी राजनीतिक दलों पर दबाव बनाना होगा कि वे इस मुद्दे को अपने एजेंडे में शामिल करें.’
योजना आयोग भवन के शौचालय के नवीनीकरण पर 35 लाख रुपये खर्च होने की खबर का जिक्र करते हुए रमेश ने कहा, ‘यह नहीं कहा जाए कि सरकार असंवेदनशील है. हमारी सरकार हर समस्या के प्रति संवेदनशील है. हम मैला ढ़ोने की समस्या को खत्म करने के लिए आगे कदम उठाएंगे.’
उन्होंने कहा कि अगले 10 वर्षों में सरकार का लक्ष्य देश के हर गांव को ‘निर्मल ग्राम’ बनाने का है और इसमें सभी लोगों को सहयोग देना होगा.