एक समय था, जब राजस्थानी महिलाएं निर्माण स्थल पर मजदूर के रूप में काम करती थीं. लेकिन अब वे राजमिस्त्री और निर्माण क्षेत्र में काम कर न सिर्फ एक नया आयाम गढ़ने जा रही हैं, बल्कि स्वच्छ भारत अभियान की प्रक्रिया में योगदान कर रही हैं.
25 वर्षीय महिला कांता देवी ने अपने गांव में पुरुष ट्रेनर द्वारा शुरू की गई कार्यशाला में जाने का फैसला किया. वह इस बात से अनजान थी कि वह एक इतिहास रचने जा रही है. यह थार मरुस्थली क्षेत्र के भीमदा गांव में महिला सशक्तिकरण का एक उदाहरण है, जो कि गलत वजहों- महिलाओं के साथ होने वाले अपराध से लेकर कन्या भ्रूण-हत्या जैसी के कारण चर्चा में रहा है.
महिलाओं के ऐसे ही समूह ने सामाजिक बाधा को तोड़ते हुए नई राह पर चलना शुरू किया. जहां सदियों तक ग्रामीण महिलाएं निर्माण स्थल पर श्रमिकों के रूप में काम करती रही हैं, वहीं उनके लिए राजमिस्त्री बनने का कदम उठाने में काफी वक्त लगा.
कांता देवी और 25 अन्य महिलाओं ने एक बहुराष्ट्रीय तेल कंपनी के विशेषज्ञों के संरक्षण में अपना प्रशिक्षण पूरा किया. अब वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय बनाने में जुटेंगी. शुरुआत में तब कांता देवी इसको लेकर असमंजस में थी, जब उसे उसके गांव भीमदा में कार्यक्रम के प्रशिक्षण की जानकारी मिली.
तेल क्षेत्र में कार्यरत बहुराष्ट्रीय केयर्न इंडिया ने आईएलएंडएफएस स्किल्स स्कूल की साझेदारी में राजमिस्त्री के काम के दो महीने का प्रशिक्षण शुरू किया. अब यह राजस्थान सरकार के साथ शौचालय बनाने में सहयोग कर रही है.
इस कार्यक्रम में शिक्षा के आधुनिक रूप-मल्टीमीडिया और आडियो-विजुअल के जरिए उन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा है. महिलाओं को इस कार्यक्रम के तहत शिक्षित भी बनाया गया है. अब वे अपना नाम लिख सकती हैं, सामान्य दस्तावेज पढ़ सकती हैं और पैसे गिन सकती हैं. अब हर महिला करीब 500 रुपये प्रतिदिन कमा लेती हैं.
एक अन्य प्रतिभागी अनीता देवी ने बताया, 'अन्य महिलाएं भी भाग ले रही हैं, इससे मुझे प्रोत्साहन मिला है. मैं इस प्रोग्राम से जुड़कर खुश हूं. मुझे पुरुष प्रशिक्षकों के साथ बैठने और सीखने में कोई हिचक नहीं है.'
---इनपुट IANS से