राम और रावण का युद्द लंका में लड़ा गया और सदियां गुजरने के बाद भी वहां इस युद्द के निशान जिंदा हैं. आजतक की टीम ने लंका का दौरा किया. वहां जिस चीज ने सबसे ज्यादा हैरानी पैदा की, वो है लंका के राजा रावण की सुरंग. रावण की रणनीति में इस सुरंग की काफी अहमियत थी.
लंकाधिपति रावण की ताकत और अहंकार से तीनों लोक कांपते थे. उसकी मायावी शक्ति तो देवताओं तक को सहमा देती थी. ऊपर से रावण की रणनीति इतनी मजबूत थी कि उसे भेदना किसी के लिये भी मुश्किल था. ऊंची ऊंची चोटियों के बीच एक ऐसी सुरंग है जिसके ना जाने कितने सिरे हैं और ना जाने वो कहां कहां जाते हैं. रावण की रणनीति में ये सुरंग काफी अहम जगह रखती थी.
कहते हैं ये सुरंग रावण की खुफिया सुरंग थी जिससे होकर वो यहां की तमाम चोटियों, बगीचों औऱ गोशालों तक जाया करता था. इस सुरंग में एक रास्ता ऐसा भी था जो किसी मुश्लकिल समय में रावण के लिये जिंदगी की राह दे सकता था. यानी रावण उस रास्ते से वहां निकल भाग सकता था जहां तक किसी के लिये जाना असंभव था.
ये सुरंग प्राकृतिक नहीं है बल्कि इसे बनाया गया है और यहां तक पहुंचना भी काफी कठिन है. जब आप यहां आ जायेंगे तो सुरंग में दाखिल होने के लिये आपको सात सौ सीढियां चढनी पडेंग. कहा जाता है कि इसी सुरंग से होकर रावण सीता से मिलने अशोक वाटिका जाया करता था.
रावण की खुफिया सुरंग जहां आती थी वहां अब बौध स्तूप बना हुआ है. यहां कभी रावण का महल हुआ करता था और सुरंग उस महल के अंदर खुलती थी. इसके आगे चलने पर समंदर के अंदर आपको ये लाइट हाउस दिखेगा. जहां लाइट हाउस है वहां कभी रावण का किला हुआ करता था और उसकी खुफिया सुरंग उस किले तक भी जाती थी.
दुनिया से यहां पहुंचनेवाले कुछेक लोगों की तरह संवाददाता के लिए भी ये सुरंग एक बड़े आश्चर्य की तरह थी. कहते हैं कि ये वो जगह है जहां से रावण रोज गुजरता था. यहीं से वो उस जगह को निकलता था जहां उसे जाना होता था. आज ये सुरंग रावण के दांव और दंभ दोनों की कहानी कहती है.